करके प्यार ख़ुशी के लिए दुआ न करना
गले लगा लेना , गम को खफा न करना .
हमदर्दी की मरहम , बन जाती है नश्तर
इश्क के जख्मों पर कभी दवा न करना .
मुबारिक कहना हर ढलती हुई शाम को
अंधेरों के लिए किस्मत से गिला न करना .
जुदाई में चूम लेना तन्हाइयों को
प्यार भरी यादों को मगर तन्हा न करना .
यादों की आग में मिटा देना हस्ती अपनी
जीने के लिए बेवफाई से वफा न करना .
जिसे दिल दिया हो गर वो पत्थर भी निकले तो ' विर्क ' उस पत्थर से भी दगा न करना .
* * * * * साहित्य सुरभि
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