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आशा की किरण

Written By Alokita Gupta on शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011 | 5:47 pm



आसमान के काले आँचल में
टाँका गया एक सितारा हूँ मैं
उस आँचल का साथ ताउम्र
बदा नहीं है भाग्य में
अक्सर हीं
टूट कर झर जाता हूँ
और टूटता देख मुझे
हँस पड़ता है पूरा विश्व
आँखें मिचे
मांगता दुआएं
ख्वाबों के पुरे होने की
अश्रु भरे नैनों से
देखता हूँ उन्हें
शायद
ये मुझसे भी
बदनसीब होंगे
तभी तो मांगते
मुझसे दुआएं
और मैं अभागा
कैसे कह दूँ
कैसे
कह दूँ उन्हें
की
मैं तो खुद किसी का
टुटा ख्वाब हूँ
आसमान ने ठुकराया
मुझको
देखता हूँ
धरा की फैली बाहें
पर
अफ़सोस
आज तक न पा सका मैं
वो स्नेहिल गोद
रास्ते में हीं
हो जाता हूँ नष्ट
बिखर जाता है
मेरा पूरा अस्तित्व
हाँ पर एक ख़ुशी है
नाश में भी मेरे है
एक सृजन
मेरी अस्त होती
जिन्दगी
दे जाती है
लाखों दिलों में
एक नयी
आशा की किरण
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5 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

वाह बहुत सु्न्दर भाव संप्रेक्षण्……………आशा का संचार करती कविता।

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना निम्न पंक्तिया अद्भुत सन्देश दे रही हैं जो दूसरों के लिए जिए मरे

बधाई हो आलोकिता जी


हाँ पर एक ख़ुशी है
नाश में भी मेरे है
एक सृजन
shuklabhramar5,
http://surenrashuklabhramar.blogspot.com

Alokita Gupta ने कहा…

Dhanywaad aap dono ka rachna ko sarahne ke liye

बेनामी ने कहा…

वाह बहुत सु्न्दर

Darshan jangra ने कहा…

वाह बहुत सु्न्दर

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