था अकेला चला मैं,
जिद्द में अपनी एक लक्ष्य पाने को |
थी खबर क्या मुझे,
कारवां खड़ा है तैयार साथ आने को ||
थी आत्मा की आवाज़,
स्वराज और आत्म सम्मान पाने को |
थी खबर क्या मुझे,
समाज है एकजुट एक दुसरे को जगाने को ||
थी गुलामी मिटानी हमे,
पहले चरण में गोरो के खिलाफ आवाज़ उठाने को |
थी खबर क्या मुझे,
दुसरे चरण में भी लड़ना होगा अपना हक पाने को ||
थे वो मेहमान देश में,
आये थे जो देश पे गोरा राज चलाने को |
आज है अपने ही,
जो है तैयार काले भेष में देश को लुटाने को ||
नहीं झुकना, है उठना,
चाहे सिर कटाने पड़े हमें भ्रष्टाचार मिटाने को |
नहीं है पहली बार यह,
पहले भी हम एक हुए थे अपना देश बचाने को ||
अब नहीं है रुकना,
होसला है रखना ऐसे और आन्दोलन चलाने को |
दुश्मन है और अभी,
सिर्फ भ्रष्टाचार ही नहीं है मार बाहर गिराने को ||
अभी एक ही सीढ़ी चढ़ें है,
फिर भी कितना सब झेला एक सफलता पाने को |
ताकत है बचा के रखनी,
अभी है आगे और सीढियां और लक्ष्य पाने को ||
~'~hn~'~
(This Poem is Dedicated to Mohandas Karamchand Gandhi / Mahatma Gandhi and Kishan Bapat Baburao Hazare / Anna Hazzare)
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2 टिप्पणियाँ:
bahut sundar ....joshila
shukriya ana ji...aapne mere blog pe anaa hi chor diya...aisi kya gustakhi kar di humne...
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Thanks for your valuable comment.