मेरे जनाज़े को कितना प्यार मिला है .........
जिंदगी गुज़र गयी
लेकिन
कोई भी
मेरे पास
दो मिनट रूककर ना बेठा ................
देखो
आज सभी
मेरे पास
बेठे जा रहे हैं ............
जिंदगी भर
कोई तोहफा न मिला
मुझे जिनसे
आज वाही लोग देखो
मुझे फूल
दिए जा रहे हैं ................
तरस गये थे हम
जिनके हाथ से
दिए एक कपड़े के
रुमाल को
आज देखो
वही मुझे
नये कपड़े उढ़ा रहे हैं ..............
कल कोई दो कदम
साथ ना चलने को
तय्यार नहीं था
आज देखो
मेरे पीछे
वही
काफिला बनाकर आ रहे हैं .............
आज पता चला
के
मोत कितनी हसीं होती है
हम तो पागल थे
उनके प्यार में
बस यूँ ही
जिए जा रहे थे ...........
मरने के बाद
मेरे जनाज़े को
इतना प्यार मिला है
बस यही सोचकर
कभी हम रोते थे
तो कभी
मुकुराए जा रहे थे ..................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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