नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » »

Written By आपका अख्तर खान अकेला on गुरुवार, 14 अप्रैल 2011 | 12:16 pm

मेरे जनाज़े को कितना प्यार मिला है .........

जिंदगी गुज़र गयी 
लेकिन 
कोई भी 
मेरे पास 
दो मिनट रूककर ना बेठा ................
देखो 
आज सभी 
मेरे पास 
बेठे जा रहे हैं ............
जिंदगी भर 
कोई तोहफा न मिला 
मुझे जिनसे 
आज वाही लोग देखो 
मुझे फूल 
दिए जा रहे हैं ................
तरस गये थे हम 
जिनके हाथ से 
दिए एक कपड़े के 
रुमाल को 
आज देखो 
वही मुझे 
नये कपड़े उढ़ा रहे हैं ..............
कल कोई दो कदम 
साथ ना चलने को 
तय्यार नहीं था 
आज देखो 
मेरे पीछे 
वही 
काफिला बनाकर आ रहे हैं .............
आज पता चला 
के 
मोत कितनी हसीं होती है 
हम तो पागल थे 
उनके प्यार में 
बस यूँ ही 
जिए जा रहे थे ...........
मरने के बाद 
मेरे जनाज़े को 
इतना प्यार मिला है 
बस यही सोचकर 
कभी हम रोते थे 
तो कभी 
मुकुराए जा रहे थे .................. 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 
Share this article :

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.