नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » , , » यूरोप का इस्लामीकरण, इस सदी के अंत तक : एक संभावना - Harikrishnn Nigam

यूरोप का इस्लामीकरण, इस सदी के अंत तक : एक संभावना - Harikrishnn Nigam

Written By DR. ANWER JAMAL on गुरुवार, 21 अप्रैल 2011 | 6:59 pm


पश्चिम में यदि द्रुतगति से फैलने वाली आज की यदि कोई आस्था है तो वह है इस्लाम और इसीलिए उन्होंने इस चौंकाने वाली संभावना को रेखांकित किया है कि इस सदी के अंत तक यूरोप इस्लामी रंग को अपना सकता है, चाहे संगठित चर्च संप्रदायों के साथ-साथ उग्रवाद के संबंध में कितनी ही वैचारिक उठापठक की जाए। जनगणनाओं के विश्लेषणों, या जनसांख्यिकी दबाव भी यही सिद्ध करते हैं कि जिन पर तर्कों के जाल में यदि चाहें तो हम लोगों को भ्रमित करते रह सकते हैं। सहसा विश्वास नहीं होता है कि चर्च की यूरोप जैसी अभेद्य हृदयस्थली को, इस्लाम के विरूद्ध प्रचार के बावजूद, बर्नार्ड लिविस जैसे विश्वप्रसिद्ध विचारक भी मानते हैं, इस सदी के अंत तक, मुस्लिम आस्था नियंत्रित कर सकेगी। कभी-कभी ऐसा लगता है कि बर्नार्ड लिविस का यह प्रश्न उठाना आज के विकास क्रम के लिए श्रेयस्कर है क्योंकि इसके द्वारा विश्व राजनीति का मानचित्र फिर बदला सकता है। हाल में फ्रांसीसी समाचार एजेन्सी एएफपी और एसोसिएटेड प्रेस द्वारा प्रसारित ‘द फोरम आन रिलिजन एंड पब्लिक लाइफ’ के एक तीन वर्षीय अध्ययन से यह तथ्य उजागर हुआ है कि आज विश्वभर में हर चार में से एक व्यक्ति इस्लामी आस्था को मानता है। दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम जनसंख्या वाले 90 देशों में भारत का स्थान आज तीसरा है। हमारे देश के ऊपर मात्र इण्डोनेशिया और पाकिस्तान ही हैं। चाहे बांग्लादेश हो या मिस्र, ईरान, तुर्की और अल्जीरिया या मोरक्को हो वहां मुसलमानों की संख्या भारत से कम है। हमारे देश में उनकी संख्या 16 करोड़ है। इसी अध्ययन में यह तथ्य भी उजागर हुआ है कि जर्मनी में लेबनान से अधिक मुस्लिम नागरिक हैं, चीन में इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले सीरिया से अधिक हैं और रूस, जार्डन और लीबिया की कुल मिलाकर मुस्लिम जनसंसख्या अधिक है। आज यह अवधारणा कि इसलाम धर्मावलंबी अरब मूल में है ध्वस्त हो चुकी है और यह पूरी तरह से एक वैश्विक समुदाय है।  - हरिकृष्ण निगम
इस लेख को पूरा पढ़ना बहुत से राज़ सामने ले आता है . लिंक यह है :

Share this article :

7 टिप्पणियाँ:

आशुतोष की कलम ने कहा…

लेखक कपोल कल्पना में जी रहा है..
शायद मेरी जानकारी में पाकिस्तान से ज्यादा मुश्लिम जनसँख्या हिन्दुस्थान की है...मगर इसमें लिखा गया है..
"""दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम जनसंख्या वाले 90 देशों में भारत का स्थान आज तीसरा है। हमारे देश के ऊपर मात्र इण्डोनेशिया और पाकिस्तान ही हैं"""

कपोल कल्पित भावों के वर्णन का चरमोत्कर्ष देखना हो तो ये कृति पढ़ी जा सकती है..
ये जनसँख्या वाली बात भी स्पस्ट करें हो सकता है में गलत होऊ ..मगर इससे लेख की सत्यता नहीं मानी जा सकती

shyam gupta ने कहा…

सही---शायद भारत में विश्व में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी है....

shyam gupta ने कहा…

वैसे भी मुस्लिम व ईसाई धर्म मे मूलतः कोई अन्तर नहीं है..एक ही हैं....योरोप चाहे ईसाई हो या इस्लामी ...क्या फ़र्क पडता है....

Saleem Khan ने कहा…

इस्लाम और ईसाई में बड़ा फर्क है डॉ साहब !? अध्ययन कीजिये खुद ब खुद पता चल जायेगा.

shyam gupta ने कहा…

उनके मूल भाव में कोई अन्तर नहीं है सलीम साहब...
---- ईसाई मेरी व येशु की मूर्ति को पूजते हैं.....मुस्लिम बस मूर्ति-पूजा नहीं मानते, पर मस्ज़िद में अजान देना एक अग्यात को टेरना ही है, मन में तो उसकी अनाम-अज़ान मूर्ति है ही, कोई फ़र्क नहीं भाव में...कब्र पर सिज़दा, चादर चढाना भी अनाम मूर्ति-पूजा ही है...
---हां हिन्दू धर्म में चाहे मूर्ति पूजो या निराकार ईश्वर सब जायज है...भाव के बस भगवान...

GuLaam Mohammed गुलाम मुहम्‍मद ने कहा…

इस्लामीकरण सारी दुनिया का होना है, अन्‍धकार सारे विश्‍व का दूर होना है बस पढे लिखों तक सही बातें सही तरीके से पेश करो वह खुद अपना अन्‍धकार दूर कर लेंगे लेंगे ऐसे



कुछ अकली तर्क- मुहम्‍मद सल्‍ल. के ईशदूत और संदेशवाहक होने की सत्यता पर


पैगंबर की गैरमुस्लिमों Non-Muslims पर दयालुता के कुछ उदाहरण


हज़रत मुहम्मदके विषय में संक्षिप्त वर्णन Yusuf Estes


मुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम :जन्म और पालन-पोषण


मुहम्मद-उन पर शांति एवं आशीर्वाद हो-की कुछ शिक्षाएं


मुहम्मद-शांति हो उन के व्यवहार के विषय में कुछ शब्द:


पैगंबर मुहम्मद ने क्या आदेश दिया ? Yusuf Estes


सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में गवाहियाँ comments


अल्‍लाह के पैग़म्बर के कुछ शिष्टाचार (आदाबे जि़न्‍दगी)


मुहम्मद सल्ल. की -ईश्दूतत्व की पुष्टि करने वाले मूलग्रंथों से कुछ प्रमाण


हज़रत पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बीवियाँ


मुहम्‍मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवन के परिणाम

विश्‍व गौरव ने कहा…

इस्लामीकरण हो रहा है इस से क्‍या खुश हुआ जाये, बात तो जब है जब इस्‍लाम का इस्‍लामीकरन हो

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.