बैठा था मैं, चाय की दुकान पर, इलाका था धौला कुआं
मिला एक देश का भविष्य, उड़ाते हुए सिगरेट का धुंआ
पूछा उससे मैंने, अरे बच्चे उम्र है कितनी तेरी
इतराते हुए बोला, उम्र है तेरह बरस की मेरी
मैंने कहा, सिगरेट पी रहा है, क्या शर्म तुझे आती नही
बोला, सिगरेट ही पी रहा हूँ, कोई डाका डाला नहीं कहीं
ये तू सिगरेट पी रहा है, ये क्या किसी डाके से कम है
तेरह बरस का है तू मासूम, तुझे किस बात का गम है
बोला, ओ ओ अंकल, चाय पीओ, ज्यादा टेंशन मत लो
ये गाँधी के उपदेश अपने पास ही रखो, मुझे मत दो
आजाद देश का नागरिक हूँ, मुझे कोई रोक सकता नहीं
पीता हूँ अपने पैसों की, किसी के बाप से मैं डरता नहीं
सही है तो कह रहा है वो, कि वो आजाद है
तो किस बात पर मेरा और उसका विवाद है
शर्म तो आनी चाहिए उस बोर्ड पर, जिस पर लिखा है
18 से कम आयु के बच्चे को तम्बाकू बेचना अपराध है!!!
- विभोर गुप्ता
vibhor14jul@gmail.com
2 टिप्पणियाँ:
नाबालिग और सिगरेट
एक दम सही बात है |
न बल इग और स इग रत |
नहीं बलवान हुआ जिसमे इगो अभी वह नाबालिग |
व इगो में रत याने सिगरेट में रत कैसे रह सकता है |
बालिग की परिभाषा हमारे कानून के हिसाब से तो १८ वर्ष की है |
किन्तु समाज की रूडी वादी मान्यताओं के अनुसार बालिग़ की परिभाषा १३ वर्ष की है |
तेरह वर्ष में ही बल आने लगता है इगो का उसके अन्दर और वह बालिग़ हो जाता है |
इसलिए तो १३ वर्ष की उम्र में शादी करते थे |
१३ वर्ष की उम्र के बात वह किसी की नहीं सुनता है |
वह क्या कोई भी किसी की नहीं सुनता है |
हम आप भी जब तेरह के हुए तो हमारे इगो भी बल वान हो गए और
हम भी किसी की नहीं सुनते थे |
तो वह क्यूँ आपकी सुनेगा |
उसका यह इगो नहीं बन पाए और वह शादी के लिए मन कर दे |
इससे पहले ही उसकी शादी कर दी जाती है |
और उसके इगो को फिर पनपने नहीं दिया जाता था |
और उसको भी गृहस्थ के कामों में उलझा लिया जाता था |
तो अभी उसका इगो बन रहा है और बलवान हो रहा है |
उसको छेड़ना यानी मधुमाखी के छत्ते को छेड़ना है |
ऐसे उम्र के बालक ही फिर किसी का अपमान करने यपितु उस पर वार करने में भी चूकते हैं |
जो इनको इस तरह से छेड़ता है |
तो अभी उसका इगो बनने देना ही सबसे बड़ी अकल्बंदी है |
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