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... तो जेटली के मामले में सुषमा की बोलती बंद कैसे हो गई?

Written By तेजवानी गिरधर on सोमवार, 4 अप्रैल 2011 | 8:24 pm

हाल ही विकीलीक्स की ओर से किए गए खुलासों से पूरा विश्व हिला हुआ है। दुनिया के अन्य देशों की तरह हमारे देश की राजनीति में भी भारी उबाल आया हुआ है। विशेष रूप से पिछली कांग्रेस नीत सरकार के दौरान सरकार को बचाने के लिए सांसदों को घूस देने के मामले पर संसद और संसद के बाहर जम कर हंगामा हुआ। हालांकि इस मुद्दे पर पूर्व में भी हंगामा हो चुका है, लेकिन विकीलीक्स के ताजा खुलासे से राजनीति में फिर से उफान आ गया। महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर चारों ओर से बुरी तरह से घिरी कांग्रेसनीत सरकार पर भाजपा को हमला करने का एक और मौका मिल गया। सांसदों को घूस देने वाले कथित लोगों के नाम एफआईआर में शामिल किए जाने की मांग को लेकर पर लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने आसमान सिर पर उठा लिया। अगर विकीलीक्स के खुलसो को सच माना जाए तो उनकी मांग जायज ही प्रतीत हो रही थी। सुषमा की हुंकार से देशभर में कांग्रेस के खिलाफ माहौल भी बनने लगा। मगर जैसे ही विकीलीक्स ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के बारे में एक तथ्य का खुलासा किया तो जेटली तो परेशानी आए ही, सुषमा स्वराज की भी बोलती बंद हो गई।
विकीलीक्स ने खुलासा किया था कि दिल्ली स्थित अमेरिकी राजनयिक ने अपने देश के विदेश विभाग को भेजे गए संदेश में कहा था कि भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा है कि हिन्दू राष्ट्रवाद उनकी पार्टी के लिए महज अवसरवादी मुद्दा है। राजनयिक के मुताबिक, हिन्दुत्व के सवाल पर बातचीत के दौरान जेटली ने तर्क दिया कि हिन्दू राष्ट्रवाद भाजपा के लिए हमेशा महज चर्चा का बिंदु रहेगा। उन्होंने हालांकि इसे अवसरवादी मुद्दा बताया। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के राजनयिक राबर्ट ब्लैक ने जेटली से मुलाकात के बाद अपनी सरकार को 6 मई 2005 को भेजे एक संदेश में यह बात कही थी। ब्लैक ने अपने संदेश में कहा था, मिसाल के तौर पर भारत के पूर्वोत्तर में हिन्दुत्व का मुद्दा खूब चलता है क्योंकि वहां बांग्लादेश से आकर बसने वाल मुसलमानों को लेकर स्थानीय आबादी में काफी चिंता है। उनके अनुसार, भारत-पाक रिश्तों में हाल में आए सुधार के मद्देनजर उन्होंने (जेटली) कहा कि हिन्दू  राष्ट्रवाद अब कम असरदार हो गया है, लेकिन सीमा पार से एक और आतंकी हमला होने पर हालात फिर पलट सकते हैं। इस पर जेटली ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने अवसरवादी शब्द का प्रयोग नहीं किया था, यह शब्द राजनयिक ने अपनी तरफ से जोड़ा होगा।
सवाल ये उठता है कि क्या अब सुषमा स्वराज अपनी मुखरता को बरकरार रखते हुए अपनी ही पार्टी के एक स्तम्भ अरुण जेटली के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करवाने जैसी कोई मांग करेंगी? अथवा उनके खिलाफ पार्टी मंच पर कार्यवाही करने पर जोर देंगी, जिनकी वजह से पार्टी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है? सवाल ये है कि जब सुषमा स्वराज या कोई अन्य भाजपा नेता विकीलीक्स के किसी खुलासे से कांग्रेस के घिरने पर हमला-दर-हमला करने को आतुर होते हैं तो उसी साइट के भाजपा नेता के बारे में खुलासे पर चुप क्यों हो जाते हैं? जाहिर तौर जैसी उम्मीद थी  विकीलीक्स के नए खुलासे पर कांग्रेस ने भी भाजपा पर पलटवार करते हुए कह दिया कि जो लोग शीशे के मकान में रहते हों, उन्हें दूसरे के घर पत्थर नहीं फैंकने चाहिए। स्पष्ट है कि विकीलीक्स के खुलासे पर कांग्रेस को घेरने वाली भाजपा अब खुद उसमें घिरती जा रही है। उसका दोहरा मापदंड खुल कर सामने आ गया है।
अव्वल तो विकीलीक्स के खुलासों को लेकर पूरी सावधानी बरती जानी चाहिए थी। भले ही उसके खुलासे सही भी हैं तब भी उनकी अपने स्तर जांच के बाद ही आगे बढऩा चाहिए। केवल त्वरित राजनीति लाभ उठाने के लिए विकीलीक्स के खुलासों को आधार बनाया जाना यह साबित करता है कि विपक्ष का असल मकसद हंगामा करना है, आरोप चाहे सही हों या न हों। और अगर विकीलीक्स के खुलासों को सच मान कर कांग्रेस को घेरा जा रहा है तो अपनी पार्टी के नेता जेटली से जुड़ा तथ्य उजागर होने पर वही मापदंड अपनाना चाहिए। कम से कम पार्टी विथ द डिफ्रेंस का नारा बुलंद करने वाली पार्टी से तो यह उम्मीद की ही जानी चाहिए कि वह जैसा कहती है, वैसा करे भी।
-गिरधर तेजवानी
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