नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » ब्लोगिंग के हर दिल अज़ीज़ हरीश सिंह छा रहे हें इन दिनों

ब्लोगिंग के हर दिल अज़ीज़ हरीश सिंह छा रहे हें इन दिनों

Written By आपका अख्तर खान अकेला on रविवार, 3 अप्रैल 2011 | 4:25 pm

ब्लोगिंग के हर दिल अज़ीज़ हरीश सिंह छा रहे हें इन दिनों

दोस्तों सबसे पहले तो में सभी भाइयों से क्षमा प्रार्थी हूँ ,क्षमा प्रार्थी इस लियें के मेरा अपना स्व्भाव हे अपनी सोच हे और मेरी संस्क्रती मेरी शिक्षा यही हे के किसी के बारे में अगर कोई आदर्श कोई अच्छाई  देखो तो उसे उजागर करो और कोई कमी देखो तो उसे छुपा कर रखो . इसी आदत इसी शिक्षा से में मजबूर हूँ , पिछले दिनों  ब्लोगिंग में खूब उलट पुलट आरोप प्रत्यारोप का दोर चला किसी की खूबियाँ अगर गिनाई गयीं तो उसे चापलूसी और चम्चेवाद  का दोर कहा गया, लेकिन दोस्तों किसी से कुछ अर्जित करने के लियें किसी नालायक की तारीफ हो तो शायद चमचागिरी उसी का नाम हे ,जबकि हमारी ब्लोगर दुनिया में एक से एक हीरो एक से एक पारंगत अज़ीम हस्तियाँ हें जिनके बारे में सच लिखना हर ब्लोगर की मजबूरी होना चाहिए और इसीलियें कुछ दिन ठिठकने के बाद फिर से में भाई हरीश सिंह जी की लेखनी ,मिलनसारी,और अपनेपन से प्रभावित होकर यह पोस्ट लिखने पर मजबूर हुआ हूँ और में यह क्रम जारी रखूंगा . 
दोस्तों उत्तरप्रदेश की काशी प्रयाग लवकुश नगरी यानी लवकुश की जन्म स्थली भदोही में भाई हरीश ने १५ मार्च १९६९ को जन्म लिया और इनका प्रारम्भिक अध्ययन का कार्य भदोही में ही रहा वहां इस धार्मिक नगरी लवकुश जन्मस्थली ने भाई  हरीश सिंह को ऐसे संस्कार दिए के सच का सामना करना, पीड़ितों को न्याय दिलाना ,सच बोलना और सच लिखना ,समाजसेवा करना इनकी आदत में आ गया और यही वजह रही के भाई हरीश जी ने पढाई के साथ साथ ही समाजसेवा और पत्रकारिता का काम शुरू कर दिया था .
हरीश जी १९९० में पत्रकारिता से जुड़ गये कई लेख दुसरे छोटे बढ़े समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए खोजी पत्रकारिता में हरीश जी ने काफी नाम कमाया और १९९४ में हरीश जी पाक्षिक समाचार से जुड़े फिर देनिक समाचार पत्रों से लगातार जुड़े रहने के बाद इन अख़बारों की और मालिकों की हकीक़त जब हरीश जी ने समझी तो यह अख़बारों से अलग हो गये और खुद का एक पाक्षिक अख़बार निकाल लिया, इन दिनों हरीश जी देनिक आज अख़बार में क्राइम रिपोर्टिंग भी कर रहे हें , पत्रकारिता के  जूनून ने हरीश जी को सच का सामना करने ,सच के लियें लढने का साहस  दिया और फिर हरीश जी ब्लोगिंग की दुनिया के अँधेरे को दूर करने आ गये ,
हरीश जी ने ब्लोगिंग की दुनिया में खुद को आलू की तरह एडजस्ट किया  हालात यह रहे के जेसे आलू सभी सब्जियों के साथ अच्छा लगता हे ऐसे ही भाई हरीश सभी ब्लोगरों के साथ सम्बन्ध स्थापित करते रहे इनका स्वभाव रहा, सभी से दोस्ती करो किसी से दुश्मनी या नाराजगी इनके स्वभाव में शामिल नहीं हे और इसीलियें यह दोस्त के भी दोस्त और दुश्मन के भी दोस्त बनते चले गये आज भाई हरीश जी के लेखनी के सभी तलबगार हे और यह जनाब हें के ब्लोगिंग के इस अखाड़े में जब कुछ लोग एक दुसरे को चुनोती दे रहे हें एक दुसरे को पछाड़ने  की तय्यारी में हे तब यह जनाब सभी गुट के मुखियाओं के साथ खड़े मुस्कुराते हें उनकी इस मुस्कुराहट में एक प्यार का संदेश अपनेपन का संदेश छुपा होता हे और इसीलियें भाई सलीम ब्लोगर ने हरीश सिंह को लखनऊ ब्लोगरएसोसिएशन    का गुरु  हनुमान  कहा हे और खुबसुरत मधुर अल्फाजों में उन्हें अपने ब्लॉग पर नवाज़ा भी हे,हरीश सिंह अपनी पत्रकारिता की रूचि के चलते पूर्वांचल प्रेसक्लब के अध्यक्ष भी हे और इसीलियें यह सभी ब्लोगों पर अपने पराये का भेद मिटाकर कोई न कोई टिप्पणी छोड़ने की कोशिश जरुर करते हें और इनके इसी स्वभाव के कारण वोह  आज ब्लोगिंग की दुनिया में अखाड़ेबाजी के बाद भी सभी दिशाओं ,सभी विपरीत विचारधाराओं के ब्लोगरों के आपसी मतभेद होने पर भी सभी ब्लोगर्स  के हर दिल अज़ीज़ बन गये हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Share this article :

2 टिप्पणियाँ:

shyam gupta ने कहा…

सही कहा...

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

ऐसे भाई हरीश जी को अपन का भी राम-राम....और आने वाले कल के लिए शुभकामनाएं....

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.