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दोहरा दिया इतिहास ----- दिलबाग विर्क

Written By दिलबागसिंह विर्क on रविवार, 3 अप्रैल 2011 | 12:48 pm


28 वर्ष बाद वो ऐतिहासिक खड़ी आ ही गई , जब भारत ने दोबारा विश्व कप को चूमा . टीम इंडिया इसके लिए बधाई की पात्र है . उन्होंने जिस तरीके से आस्ट्रेलिया , पाकिस्तान और श्रीलंका को हराया वो सामूहिक प्रयास का ही नतीजा था .फाइनल की जीत तो लाजवाब थी  बल्लेबाज़ी में असफल चल रहे कप्तान धोनी ने भी फार्म में लौटने के लिए सही दिन चुना और कप्तानी पारी खेलकर टीम को चैम्पियन बनाया . गंभीर ने भी इस मैच में शानदार 97 रन बनाए . भारतीय टीम का फाइनल में क्षेत्ररक्षण का स्तर भी बहुत ऊँचा रहा . सहवाग -सचिन के जल्दी आउट होने के बाद कोहली ,गंभीर ,धोनी , युवराज ने जीत सुनिश्चित करके ही दम लिया .
            पूरे टूर्नामैंट को देखें तो सभी खिलाडियों ने अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया . युवराज़ का श्रेष्ट खिलाडी चुना जाना उसके उपयोगी खिलाडी होने का सबूत है . सचिन सर्वाधिक रन बनाने वालों में दूसरे स्थान पर रहे . जहीर ने सर्वाधिक विकेट चटखाए .हरभजन , मुनाफ , अश्विन , नेहरा ने उपयोगी गेंदबाज़ी की , सारे बल्लेबाज़ तो रंग में थे ही . कुलमिलाकर पन्द्रह सदस्यी दल में कोई भी खिलाडी कमजोर कड़ी साबित नहीं हुआ . सभी खिलाडी पूरे टूर्नामैंट में फिट रहे यह भी बड़ी बात है . 
                 खिलाडियों के साथ कोच और अन्य स्टाफ के योगदान को भी नहीं भूला जाना चाहिए . कोच गैरी को बिखरी हुई टीम मिली थी , जिसे उसने पर्दे के पीछे रहकर संवारा . उन्होंने कभी भी ग्रेग चैपल की तरह सुर्ख़ियों में आने की कोशिश नहीं की , यही कारण है कि वे विवादों से बचे रहे और टीम और कप्तान के साथ उनका तालमेल बना रहा . गैरी का यह भारतीय टीम के साथ अंतिम मैच था . भारतीय टीम ने उसे शानदार विदाई दी है .
           इस मैच के साथ ही क्रिकेट के एक युग का भी अंत हुआ . मुरलीधरन की फिरकी अब अंतर्राष्ट्रीय मैचों में नहीं दिखेगी . हालाँकि उनकी विदाई विश्व कप के साथ नहीं हो पाई , फिर भी इस महान खिलाडी को सलाम किया जाना चाहिए . मुरली की तरह ही शायद यह सचिन का भी अंतिम विश्व कप माना जा रहा है . इस आखरी मैच में सचिन-मुरली की भिडंत तो नहीं हो पाई लेकिन सचिन का सपना जरूर पूरा हुआ .सचिन अभी खेल रहे हैं और क्रिकेट प्रेमी उनसे एकदिवसीय मैचों में पचास शतक और बीस हजार रन बनाए जाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं .यह पड़ाव बहुत दूर भी नहीं है , लेकिन इतना सच है कि सचिन बहुत लम्बा नहीं खेल पाएंगे . टीम इंडिया का भविष्य युवा खिलाडी हैं .और भारत का विश्व चैम्पियन बनना और इसमें युवाओं का योगदान देखते हुए लग रहा है कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल है .भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर पूरे देश को बधाई .  

                     * * * * *
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3 टिप्पणियाँ:

Amrita Tanmay ने कहा…

Aitihasik jeet me ham sath hain.....badhai

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

टीम इण्डिया ने 28 साल बाद यह सपना साकार किया है।
एक प्रबुद्ध पाठक के नाते आपको, समस्त भारतवासियों और भारतीय क्रिकेट टीम को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (4-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

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