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कैसे कैसे बुद्धिजीवी ?

Written By DR. ANWER JAMAL on शनिवार, 1 अक्तूबर 2011 | 6:53 am

नेकी के रास्ते पर सामूहिक रूप से चलना हमेशा से ही कठिन रहा है लेकिन कठिनाइयों से घबरा कर पाप के मार्ग पर तो नहीं चला जा सकता। भारत में भी लोग व्यक्तिगत रूप से ही नेकी के मार्ग पर हैं वर्ना तो अधिकतर लोग दहेज और सूद ले दे रहे हैं जिसकी वजह से भारत में किसान आत्महत्या कर रहे हैं और पेट में ही कन्या भ्रूण चेक करवा कर मरवा रहे हैं और ये पाप का मार्ग इस लायक नहीं है कि इस पर चला जाए। जो लोग इस पर चल रहे हैं, उन्हें इस पर नहीं चलना चाहिए। हरेक नेकी पर चले, यहां भी चले और वहां भी चले, सबका मार्ग एक ही हो, तभी कल्याण होगा .

हरेक दिशा में और हरेक देश में आदमी नेकी के मार्ग पर चले, बुद्धिजीवियों को ऐसी प्रेरणा देनी चाहिए, यही उनकी जिम्मेदारी है लेकिन अजीब हाल है दुनिया का, कि जो लोग पाप की प्रेरणा देते हैं, उन्हें बुद्धिजीवी कहा जा रहा है।
ऐसे बुद्धिजीवियों का कोई सामाजिक आधार नहीं होता बल्कि ये टी. वी. - रेडियो पर ही टॉक करते हुए मिलेंगे।
ये फर्जी बुद्धिजीवी समलैंगिकता और आजाद यौन संबंधों की वकालत करते हुए मिलेंगे और सुरक्षित सेक्स के लिए कंडाम और पिल्स की जानकारी देते हुए मिलेंगे।
क्या सचमुच ऐसे लोगों को इंसान भी कहा जा सकता है ?
बुद्धिजीवी कहना बहुत बड़ी बात है।
हमारी बुद्धि तो यह कहती है कि समलैंगिकता का मार्ग मानव जाति के लिए फलदायी नहीं है और सुरक्षित सेक्स का आसान तरीका यह है कि जिससे निकाह-विवाह किया है, उसकी वफादारी को महसूस करो और खुद भी उसके प्रति वफादार रहो।

जो लोग अपने बच्चों की संखया नियंत्रित करना चाहें तो वे भी ऐसा तरीका अखितयार करें जिससे उनके जीवन साथी के तन-मन पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े  और न ही समाज आगे चलकर लिंग अनुपात संबंधी किसी तरह की जटिलता का शिकार हो।

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और देखिये :
Maulana Wahiduddin Khan has made it his mission to present Islamic teachings in the style and language of the post-scientific era.
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