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विश्व-कप के नाम पर धन-दौलत का घिनौना प्रदर्शन

Written By Swarajya karun on बुधवार, 6 अप्रैल 2011 | 10:11 am

                                                                                                                 -  स्वराज्य करुण
   जिस देश में 77  प्रतिशत लोग रोजाना सिर्फ बीस रूपए की आमदनी में अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हों, वहाँ क्रिकेट विश्व-कप के नाम पर धन-दौलत का घिनौना   प्रदर्शन कहाँ तक जायज है ?  क्या उन्होंने देश के लिए खेला ? क्या उन्होंने देश के लिए विश्व-कप जीता ? अगर हाँ ,तो उनमे से हर एक खिलाड़ी पर करोड़ों रूपयों की बौछार को वे क्यों झेल रहे हैं ? इसे लौटा क्यों नहीं देते ?  अगर उन्होंने वाकई अपने देश के लिए खेला और विजयी हुए , तो क्या इस कामयाबी की कीमत ये अथाह दौलत है ,जो उन पर छप्पर फाड़ कर बरस रही है? क्या यह दौलत उन्हें किसी ईमानदार व्यक्ति की निजी कमाई में से दी जा रही है , या इसे कुछ लोगों के द्वारा  हम भारतीयों के सार्वजनिक खजाने से अवैधानिक और अनैतिक रूप से  लुटाया जा रहा है ?
     मेरे ये सवाल  भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी समेत उनकी टीम के उन सभी खिलाड़ियों से है, जो विश्व-कप 2011 जीतने के कारण  रंगीन टेलीविजन चैनलों और रंगीन पोस्टरनुमा अखबारों की कृपा से बेहिसाब प्रचार के माया लोक में घूम-घूम कर इनाम के रूप में इफरात -दौलत बटोर रहे हैं .मायावी-मीडिया के  प्रचार तंत्र से भ्रमित जनता उन्हें पलकों पर बैठा रही है   ख़बरों के अनुसार टीम-इंडिया के हर खिलाड़ी को विश्व-कप  से एक करोड़ रूपए से ज्यादा राशि मिली है.भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड प्रत्येक खिलाड़ी को एक करोड़ दोनों प्रशिक्षकों को पचास-पचास लाख और चयनकर्ताओं को पच्चीस -पच्चीस लाख रूपए देगा . भारत का दिल कहे जाने वाले जिस दिल्ली महानगर में लाखों लोग झुग्गी-बस्तियों में यातना भरी जिंदगी जी रहे हैं, वहाँ की सरकार ने टीम इंडिया के कप्तान धोनी को दो करोड़  और वीरेंद्र सहवाग , गौतम गंभीर, विराट कोहली और आशीष मेहरा को एक-एक करोड़ रूपए देने का ऐलान किया है . जिस महाराष्ट्र के मुम्बई महानगर में  लाखों लोग तंग बस्तियों में नर्क-तुल्य जीवन गुजार रहे हैं, वहाँ सचिन तेंदुलकर और ज़हीर खान को एक-एक करोड़ रूपए देने की घोषणा की गयी है.   दूसरी कई राज्य-सरकारों ने   भी अपने-अपने हिसाब से इन खिलाड़ियों पर लाखों-करोड़ों के इनाम बरसाए हैं , या नहीं तो बरसाने वाले हैं .बाजारवाद के इस बेशर्म दौर में   क्रिकेट नामक यह खेल आज वैसे भी बाज़ार के हाथों खेल रहा है .विश्व-कप 2011 की ट्रॉफी को लेकर  असली-नकली का विवाद  भी  शुरू हो गया है. 
      कुछ साल पहले जानवरों  की तरह  भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों की भी नीलामी हुई थी.  कतिपय टैक्स-चोर शराब-ठेकेदारों , फ़िल्मी आदमियों और फ़िल्मी औरतों ने इस नीलामी में उन्हें बैलों और घोड़ों की तरह खरीद कर  अपनी-अपनी टीम बनायी और मैच कराया . इस नीलामी में भी ये खिलाड़ी करोड़ों में बिके और करोड़पति हो गए .आज  बी.सी.सी.आई . द्वारा आयोजित विश्व-कप 2011 के इस  प्रायोजित शोर में ललित मोदी के आई.पी. एल. घोटाले की चर्चा कहाँ दब गयी ,किसी ने ध्यान नहीं दिया . बहरहाल मै सवाल उठा   रहा था कि भारत के लिए विश्व-कप २०११ जीतने पर भारतीय टीम को इस तरह सरकारी खजाने से करोड़ों रूपयों का व्यक्तिगत इनाम क्यों मिलना चाहिए ? अगर उन्होंने देश के लिए खेला और देश को विजयी बनाया ,तो देश ज़रूर उनका आभारी हो और उन्हें सम्मानित करे ,उनका अभिनन्दन करे,उन्हें और भी अच्छा खेलने के लिए बेहतर सुविधाएं दे , लेकिन देश के नाम पर जनता के खून-पसीने की कमाई को देश के हमारे भाग्य-विधाता इस तरह बेरहमी से लुटाते जाएँ ,यह अधिकार उन्हें किसने दिया ?   क्या वे कबड्डी ,खो-खो, हाकी , फुटबॉल, वालीबॉल जैसे देशी-माहौल  के सस्ते ,लेकिन स्वास्थ्यवर्धक खेलों और उनके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों पर ऐसी ही मेहरबानी दिखाएंगे ? वैसे मेरे विचार से किन्हीं दो देशों के बीच कोई भी खेल अगर होता है, तो वह मित्रता और राष्ट्रीयता की भावना से खेला जाना चाहिए ,न कि करोड़ों रूपयों के इनामों की लालसा से . अगर हमारे देश की टीम विजेता बनती है, तो निश्चित रूप से देश का गौरव बढ़ता है, लेकिन किसी भी टीम या खिलाड़ी की गौरवपूर्ण कामयाबी को करोड़ों -अरबों रूपयों से तो नहीं तौला  जा सकता !
          केन्द्रीय पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा डॉ. एन.सी.सक्सेना के अध्यक्षता में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा श्रेणी (बी.पी.एल.) के परिवारों की पहचान के लिए सही प्रक्रिया तय करने के लिए समिति गठित की गयी थी। इस  कमेटी  की वर्ष 2009 में आयी रिपोर्ट में देश में ऐसे परिवारों की संख्या 50 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में लगभग 73.16 प्रतिशत बतायी गयी। वर्ष 2008-09 में ही केन्द्र ने अर्जुन सेनगुप्ता कमेटी का गठन किया। इस कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया कि देश में लगभग 77 प्रतिशत लोग प्रतिदिन 20 रूपए से भी कम राशि में अपना गुजारा करते हैं।   क्या विश्व-कप  जीतने की खुमारी में  जनता के  सरकारी खजाने को अपने घर का और मुफ्त का माल समझ कर क्रिकेटरों पर करोड़ों रूपए की बौछार कर रहे हमारे भारत भाग्य-विधाता इस पर कुछ विचार करेंगे ? 
                                                                                                                  -- स्वराज्य करुण 
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1 टिप्पणियाँ:

shyam gupta ने कहा…

""जिस महाराष्ट्र के मुम्बई महानगर में लाखों लोग तंग बस्तियों में नर्क-तुल्य जीवन गुजार रहे हैं, वहाँ सचिन तेंदुलकर और ज़हीर खान को एक-एक करोड़ रूपए देने की घोषणा की गयी है. ""----बडी बे इन्साफ़ी है हुज़ूर...

--और ये क्रिकेट के दीवाने-दीवानियां जिनके पास और कोई काम नहीं है, पढना -लिखना छोडकर सडकों पर चेहरे पोत पोत कर घूमते है, खुशी खुशी नन्गा होने की शर्त ... उनका क्या किया जाय ...

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