हुर्रे और हम जीत गए जियो खिलाडी सचमुच तुमने किया धमाल-फुलझड़ियाँ छूट रहीं इस आसमान में हमने भारत महान लिख दुनिया को दिखा दिया , और आप सब मित्रों की दुआ रंग लायी बहुत बहुत धन्यवाद मेरी कविता में आप सब ने जान डाल दी हम आप सब के आभारी हैं ,माँ के लाल- आओ दिवाली में शामिल हो जश्न मनाएं -और सभी जन से गुजारिश है जल्दी ये दीप प्रज्वलित करें
२७ वर्ष बाद ख़ुशी का ऐसा ज्वार भाटा उठा दिल से ऐसा स्रोत फूटा की हर आँखें नाम हो उठीं बरस पड़ीं झरने सी
दिल हहर हहर झूम उठा कंठ अवरुद्ध हो गए जो भी कहें दुवा दें इन माई के लाल की सब कम है
-साभार -
जय हिंद जय भारत १०.५४ पी यम
२७ वर्ष बाद ख़ुशी का ऐसा ज्वार भाटा उठा दिल से ऐसा स्रोत फूटा की हर आँखें नाम हो उठीं बरस पड़ीं झरने सी
दिल हहर हहर झूम उठा कंठ अवरुद्ध हो गए जो भी कहें दुवा दें इन माई के लाल की सब कम है
-साभार -
जय हिंद जय भारत १०.५४ पी यम
आज ‘तिरंगा’ फिर लहराया
विजयी ‘विश्व’ है ‘भारत’ छाया
वाह धुरंधर धोनी के सब
गजब किया रे !!!
‘मेहनत’ रंग है लाती
सिद्ध किया है मूल-मन्त्र ये
मार लिया मैदान !!!
जंग -जीत के विश्व विजेता
‘भारत’ बना ‘महान’ !!
‘दिया’ जला ‘दीवाली’ लाये
फुलझड़ियाँ हैं कहीं पटाखे
रात-रात भर फूटें
रंग बिरंगे इंद्र-धनुष
से रौशन सारा !!!
जाग उठा आसमान !!!
‘मुम्बई’ से ‘लहर’ उठी रे
गाँव -गली तक पहुंची
गाँव की गलियां शहर हमारे
‘नाच’-कूद अब ‘ढोल’ बजाते
‘होली’ से रंगे हैं सारे
चले आज सब ‘तेरे द्वारे’
देखो ‘मेला’ लगा हुआ है
'माँ" बाबा का नाम हुआ है
‘चरण’ छू रहा उनके कोई
कोई ‘गले’ लगाया
धरती पर ‘भगवान’ सरीखा
"विजयी"- ‘लाल’ है छाया !!
"माँ" की बेचैनी बढ़ी जा रही
"मेले" ना मन लाये
आ के "हार" पहन ले
जल्दी-गुझिया पूड़ी खाए !!
'छाछ'- 'दही'- 'गुड'- 'तुलसी' पत्ता
'कलश'- भरा रख आये
पहलवान "वीर" बाबा तो
'बेल्हा' -'चौहरजन' जाना
'विन्ध्याचल' -'काशी' में जाकर
'गंगा' डुबकी लाना
सारी 'मन्नत' पूरी करना
नौ दिन 'व्रत' भी रहना
'नवरात्री' -'दुर्गा'- "माँ" की
पूजा -अर्चना !!!
हवन-यज्ञँ सब करना
'पूत' -'सपूत'- हों ऐसे सबके
इस "माटी' के 'लाल"
जहाँ रहें 'चौके' -'छक्के' जड़
करते रहें -'कमाल' !!!
अपने घर में 'ख़ुशी' पले तब
हर दिन मचे 'धमाल' !!!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
प्रतापगढ़ उ.प्र.
२.४.2011
8 टिप्पणियाँ:
bahut prerak prastuti.bahut bahut badhai.
vaah kyaa rchna he kya tirngaa he or kyaa jit he mzaa aa gyaa behtrin prstuti ke liyen bdhaai aek becheni or tirnge ki jit ka vishvaas bhtrin he . akhtrk khan akela kota rajsthan
दुनिया का उभरते हुए भारत का सलाम.
शालिनी जी नमस्कार धन्यवाद हम आप तो शुभ कामना और प्रेरणा ही दे सकते हैं चलो इसी तरह अपने समाज को बनायें एक दुसरे को प्रोत्साहन दें हमारा समाज हमारे घर से ही शुरू होता है न
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
प्रतापगढ़ उ.प्र.
अख्तर खान अकेला भाई बहुत बहुत धन्यवाद हम सब की दुवाएं रंग लायी आप का पोस्ट २००% सच निकला हम विजयी हुए आप के प्यारे शब्द प्यारी प्रतिक्रिया के लिए फिर से धन्यवाद आओ हम इसी तरह जोश जगाएं
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
प्रतापगढ़ उ.प्र.
हरीश भाई सचमुच ये सलाम करने की ही घडी है आओ जश्न मनाएं २७ साल बाद हरियाली अपने यहाँ लौट आई -धन्यवाद
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
प्रतापगढ़ उ.प्र.
sachmuch khushiyon ki ghari ke gavah hain ham badhai
धन्यवाद अमृता तन्मय जी सच कहा आपने इतने लम्बे सफ़र के बाद हम ये ख़ुशी की घडी गले लगाने को मिली हम ही क्या अब तो इतिहास भी गवाह रहेगा आइये आप हमारे ब्लॉग पर भी अपने सुझाव व् समर्थन के साथ
सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर ५
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Thanks for your valuable comment.