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आज ‘तिरंगा’ फिर लहराया- विजयी ‘विश्व’ है ‘भारत’ छाया

Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on शनिवार, 2 अप्रैल 2011 | 11:08 pm

हुर्रे और हम जीत गए जियो खिलाडी सचमुच तुमने किया धमाल-फुलझड़ियाँ छूट रहीं इस आसमान में हमने भारत महान लिख दुनिया को दिखा दिया , और आप सब मित्रों की दुआ रंग लायी बहुत बहुत धन्यवाद मेरी कविता में आप सब ने जान डाल दी हम आप सब के आभारी हैं ,माँ के लाल- आओ दिवाली में शामिल हो जश्न मनाएं -और सभी जन से गुजारिश है जल्दी ये दीप प्रज्वलित करें 


२७ वर्ष बाद ख़ुशी का ऐसा ज्वार भाटा उठा दिल से ऐसा स्रोत फूटा की हर आँखें नाम हो उठीं बरस पड़ीं झरने सी
दिल हहर हहर झूम उठा कंठ अवरुद्ध हो गए जो भी कहें दुवा दें इन माई के लाल की सब कम है 

-साभार -
जय हिंद जय भारत १०.५४ पी यम

आजतिरंगा’ फिर लहराया
विजयीविश्व’ हैभारत’ छाया
वाह धुरंधर धोनी के सब
गजब किया रे !!!
‘मेहनत’ रंग है लाती
सिद्ध किया है मूल-मन्त्र ये
मार लिया मैदान !!!
जंग -जीत के विश्व विजेता
‘भारत’ बनामहान’ !!

‘दिया’ जलादीवाली’ लाये

फुलझड़ियाँ हैं कहीं पटाखे

 रात-रात भर फूटें
रंग बिरंगे इंद्र-धनुष
से रौशन सारा !!!
जाग उठा आसमान !!!


 ‘मुम्बई’ सेलहर’ उठी रे
गाँव -गली तक पहुंची
गाँव की गलियां शहर हमारे
‘नाच’-कूद अबढोल’ बजाते
‘होली’ से रंगे हैं सारे
चले आज सबतेरे द्वारे’

देखोमेला’ लगा हुआ है
'माँ" बाबा का नाम हुआ है
‘चरण’ छू   रहा उनके कोई
कोईगले’ लगाया
धरती परभगवान’ सरीखा
"विजयी"- ‘लाल’ है छाया !!


"माँ" की बेचैनी बढ़ी जा रही
"मेले" ना मन लाये
के "हार" पहन ले
जल्दी-गुझिया पूड़ी खाए !!
'छाछ'- 'दही'- 'गुड'- 'तुलसी' पत्ता
'कलश'- भरा रख आये

पहलवान "वीर" बाबा तो
'बेल्हा' -'चौहरजन' जाना
'विन्ध्याचल' -'काशी' में जाकर
'गंगा' डुबकी लाना
सारी 'मन्नत' पूरी करना
नौ दिन 'व्रत' भी रहना
'नवरात्री' -'दुर्गा'- "माँ" की
पूजा -अर्चना !!!
हवन-यज्ञँ सब करना

'पूत' -'सपूत'- हों ऐसे सबके
इस "माटी' के 'लाल"
जहाँ रहें 'चौके' -'छक्के' जड़
करते रहें -'कमाल' !!!
अपने घर में 'ख़ुशी' पले तब
हर दिन मचे 'धमाल' !!!

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
प्रतापगढ़ .प्र.
..2011
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8 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut prerak prastuti.bahut bahut badhai.

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

vaah kyaa rchna he kya tirngaa he or kyaa jit he mzaa aa gyaa behtrin prstuti ke liyen bdhaai aek becheni or tirnge ki jit ka vishvaas bhtrin he . akhtrk khan akela kota rajsthan

हरीश सिंह ने कहा…

दुनिया का उभरते हुए भारत का सलाम.

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

शालिनी जी नमस्कार धन्यवाद हम आप तो शुभ कामना और प्रेरणा ही दे सकते हैं चलो इसी तरह अपने समाज को बनायें एक दुसरे को प्रोत्साहन दें हमारा समाज हमारे घर से ही शुरू होता है न

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

प्रतापगढ़ उ.प्र.

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

अख्तर खान अकेला भाई बहुत बहुत धन्यवाद हम सब की दुवाएं रंग लायी आप का पोस्ट २००% सच निकला हम विजयी हुए आप के प्यारे शब्द प्यारी प्रतिक्रिया के लिए फिर से धन्यवाद आओ हम इसी तरह जोश जगाएं

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

प्रतापगढ़ उ.प्र.

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

हरीश भाई सचमुच ये सलाम करने की ही घडी है आओ जश्न मनाएं २७ साल बाद हरियाली अपने यहाँ लौट आई -धन्यवाद

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

प्रतापगढ़ उ.प्र.

Amrita Tanmay ने कहा…

sachmuch khushiyon ki ghari ke gavah hain ham badhai

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

धन्यवाद अमृता तन्मय जी सच कहा आपने इतने लम्बे सफ़र के बाद हम ये ख़ुशी की घडी गले लगाने को मिली हम ही क्या अब तो इतिहास भी गवाह रहेगा आइये आप हमारे ब्लॉग पर भी अपने सुझाव व् समर्थन के साथ

सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर ५

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