कवियों अपनी कलम उठाओ
आया समय, कुछ गीत लिखो,
भ्रष्टाचार विरोधी स्वर लिखकर
'अन्ना' के संग मीत लिखो
जाग उठे जन-जन, जागे जन-गण-मन,
राष्ट्र चेतना जगाने को एक जाग चाहिये
धधक उठे क्रान्ति-ज्वाला जन-जन में,
मिटाने अंधियारे को, दावानल आग चाहिये
राष्ट्र्भक्ति के स्वर लिये, क्रान्ति का ज्वर लिये,
परिवर्तन की आंधियों को, भैरवी राग चाहिये
पुकारे है गंगा मैली, कर डाली मुझे विषैली,
ऐसे सांप-सपोलो को डसने को, शेषनाग चाहिये
आया समय, कुछ गीत लिखो,
भ्रष्टाचार विरोधी स्वर लिखकर
'अन्ना' के संग मीत लिखो
जाग उठे जन-जन, जागे जन-गण-मन,
राष्ट्र चेतना जगाने को एक जाग चाहिये
धधक उठे क्रान्ति-ज्वाला जन-जन में,
मिटाने अंधियारे को, दावानल आग चाहिये
राष्ट्र्भक्ति के स्वर लिये, क्रान्ति का ज्वर लिये,
परिवर्तन की आंधियों को, भैरवी राग चाहिये
पुकारे है गंगा मैली, कर डाली मुझे विषैली,
ऐसे सांप-सपोलो को डसने को, शेषनाग चाहिये
2 टिप्पणियाँ:
bharshtachaar ke virodhi har shakhs ka sath dena jroori hai
dekhie nyay sarkar ka
dilbag ji, aapne bilkul sahi kaha, hame bharastachar ke virodhiyo ka sath dena chahiye..
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