योग के नियम का पहला अंग है शौच |
शौच और सोच दोनों एक ही तरह से हैं |
शौच करने जब कोई जाता है तभी वह सोचता भी है |
शौच करने के समय उसको बहुत से सोच आते हैं |
और जब गाँव में शौच करने जाते हैं तो कोई
कहीं बैठा होता है और कोई कहीं बैठा होता है |
तो उस समय जो चर्चा होती है उसी चर्चा को
गुफ्तगु कहते है यानी गु (शौच ) करते समय की गयी चर्चा |
और यह गुफ्तगु बहुत ही महत्तवपूर्ण होती है |
तो शौच और सोच तथा गुफ्तगु यह जीवन में बहुत मायने रखते हैं |
कई लोग तो शौच करते हुए ही अपने सारे दिन का प्लान सोच लेते हैं |
और वह प्लान भी अच्छा होता है |
और अक्सर अच्छे-अच्छे प्लान शौच में ही आते हैं |
इसलिए अक्सर लोग शौच में घुसे रहते हैं |
शौच और सोच दोनों एक ही तरह से हैं |
शौच करने जब कोई जाता है तभी वह सोचता भी है |
शौच करने के समय उसको बहुत से सोच आते हैं |
और जब गाँव में शौच करने जाते हैं तो कोई
कहीं बैठा होता है और कोई कहीं बैठा होता है |
तो उस समय जो चर्चा होती है उसी चर्चा को
गुफ्तगु कहते है यानी गु (शौच ) करते समय की गयी चर्चा |
और यह गुफ्तगु बहुत ही महत्तवपूर्ण होती है |
तो शौच और सोच तथा गुफ्तगु यह जीवन में बहुत मायने रखते हैं |
कई लोग तो शौच करते हुए ही अपने सारे दिन का प्लान सोच लेते हैं |
और वह प्लान भी अच्छा होता है |
और अक्सर अच्छे-अच्छे प्लान शौच में ही आते हैं |
इसलिए अक्सर लोग शौच में घुसे रहते हैं |
3 टिप्पणियाँ:
achchhi prastuti
sochne ka sabse sahi aakalan
शरीर में से जब गंदगी निकल जाती है | तो शरीर शुद्ध और मन भी शुद्ध हो जाता है | तभी शायद व्यक्ति में अच्छे-अच्छे विचार आते हैं |
achchhi prastuti
sochne ka sabse sahi aakalan
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