सांझ ढाले जब दीप जले ,
और बदली में चाँद चले ,
यादों के तले हो रात ;
तन स्वप्नों के आँगन में ,
मैं तुमको ढूँढता हूँ ,
प्रिय तुमको ढूँढता हूँ |
जब ख़्वाबों की अंगडाई,
इस मन में इठलाती है ;
जब याद तेरी प्रियतम,
इस दिल में गहराती है ;
तब धुंध भरी सुबहों में,
मैं तुमको ढूँढता हूँ |
तुम पास नहीं होते हो,
जब जब हे प्रियतम मेरे ;
चाहत के वी सी पी पर,
ख्यालों की इन रीलों में,
यादों के परदे पर ही,
मैं तुमको ढूँढता हूँ |
यादों की एल्बम से,
जब मन भर जाता है;
यादों की यादों से भी,
जब ये दिल घबराता है ;
अपने ही पदचापों में,
मैं तुमको ढूँढता हूँ ||
4 टिप्पणियाँ:
achche dil ke jajbaat se paripoorn rachna.mere blog par aapka swagat hai.
yaadon main doobi ,jajbaton se bhari hui khoobsoorat rachaa.badhaai aapko.
यादों की एल्बम से,
जब मन भर जाता है;
यादों की यादों से भी,
जब ये दिल घबराता है ;
अपने ही पदचापों में,
मैं तुमको ढूँढता हूँ ||
Bahut acchhi rachna sir.. Badhai..
धन्यवाद...राजेश कुमारीजी, प्रेरणा जी व अवतार जी...
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Thanks for your valuable comment.