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डॉ श्याम गुप्त का पावस गीत .....

Written By shyam gupta on रविवार, 10 जुलाई 2011 | 5:20 pm


आई रे बरखा बहार

झरर झरर झर,
जल बरसावे मेघ |
टप टप बूँद गिरें ,
भीजै रे अंगनवा   हो sss ....
आई रे बरखा बहार ... हो ...||

धड़क धड़क धड ,
धड़के जियरवा ..हो
आये न सजना हमार ....हो sssss...
आई रे बरखा बहार ||

कैसे सखि ! झूला सोहै,
कजरी के बोल भावें |
अंखियन नींद नहिं,
जियरा न चैन आवै |
कैसे सोहें सोलह श्रृंगार ..हो sssss
आये न सजना हमार ||...आई रे बरखा ...

आये परदेशी घन,
धरती मगन मन |
हरियावै तन , पाय-
पिय का संदेसवा |
गूंजै नभ मेघ मल्हार ..हो sssss
आये न सजना हमार |...आई रे बरखा ...

घन जब जाओ तुम,
जल भरने को पुन: |
गरजि गरजि दीजो ,
पिय को संदेसवा |
कैसे जिए धनि ये तोहार ...हो ssss
आये न सजना हमार...हो ssss
आई रे बरखा बहार ||
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3 टिप्पणियाँ:

रविकर ने कहा…

अलबेली प्रस्तुति |
प्रसन्न हुआ मानस ||
आभार |

vidhya ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद विद्या जी व रवि जी....

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