भोजन ब्रह्म है,
और जीव -
हज़ार मुखों से ग्रहण करने वाला ,
वैश्वानर है,
जगत है;
और हज़ार हाथों से बांटने वाली ,
अन्नपूर्णा -
माया है उसी ब्रह्म की |
हाँ, ऐसा ही लगता है ,तब--
जब तुम - तवा, चूल्हा , चकला-
रोटी, कलछा और कुकर पर,
एक ही समय में ध्यान दे लेती हो |
और , मुन्ना मुन्नी पापा व अन्य को ,
परोस भी देती हो,
एक साथ-
गर्मा-गर्म, सुस्वादु भोजन |
जैसे, अन्नपूर्णा -
हज़ार हाथों से,
सारे विश्व को तृप्त कर रही हो |
या कोई ज्ञान रूपा,
हज़ार भावों से-
वैश्वानर को,
चराचर को,
ब्रह्म का-
आस्वादन करा रही हो ||
और जीव -
हज़ार मुखों से ग्रहण करने वाला ,
वैश्वानर है,
जगत है;
और हज़ार हाथों से बांटने वाली ,
अन्नपूर्णा -
माया है उसी ब्रह्म की |
हाँ, ऐसा ही लगता है ,तब--
जब तुम - तवा, चूल्हा , चकला-
रोटी, कलछा और कुकर पर,
एक ही समय में ध्यान दे लेती हो |
और , मुन्ना मुन्नी पापा व अन्य को ,
परोस भी देती हो,
एक साथ-
गर्मा-गर्म, सुस्वादु भोजन |
जैसे, अन्नपूर्णा -
हज़ार हाथों से,
सारे विश्व को तृप्त कर रही हो |
या कोई ज्ञान रूपा,
हज़ार भावों से-
वैश्वानर को,
चराचर को,
ब्रह्म का-
आस्वादन करा रही हो ||
3 टिप्पणियाँ:
bahut hi sundar baat ||
badhai shyaam bhaai ||
bahut hi sundar baat ||
badhai shyaam bhaai ||
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
--
hai
धन्यवाद रविकर व विद्या जी...
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