जीव ही तो जीवन देता है |
जीव ही तो जान भी लेता है |
किसी गरीब को अन्न खिला दिया, तो उसको जीवन दे दिया |किसी के साथ खेत पर अन्न की को पानी देने के कारण जीवन से मार दिया |
अन्न शरीर में रहेगा तभी तो कोई बात समझ में आयेगी |
नहीं तो वह, भूखा केवल अन्न के बारे में ही सोचेगा |
एक बार कोई अन्न को अपने शरीर में पचाना जान जाता है |
उसको फिर किसी भी प्रकार के मार्ग दर्शन की जरूरत नहीं होती है |
जो अन्न है वह पचाना आना चाहिए बस |
जो-जो और जहां-जहां के लोग अन्न को ज्यादा महत्त्व देते हैं |
फिर वह किसी और के चक्कर में नहीं पड़ते हैं |
उनको कोई और ज्ञान नहीं चाहिए |
क्यूंकि जैसे पौधे को पानी चाहिए तभी वह फूलेगा और फलेगा |
उसकी प्रकार जीव का अन्न चाहिए तभी वह आत्म को उपलब्ध होगा |
1 टिप्पणियाँ:
vah aap ke keya kahane
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