तवा अभी ठंडा है, अभी कुछ पका नहीं सकते |
चल पड़ो तो, रास्ता बताती है, जिन्दगी |
देख लो इस जिन्दगी में गम बहुत भरा है |
बंज़र हो गयी जमीं, आसमानों को उतर आने दो |
गौर करो मुसाफिरों का, कैसे ये चलते हैं |
मकसद यूँ जिन्दगी का कोई बदलता नहीं |
राह में रोड़े यूँ, कोई अटकाता नहीं |
ज़माने में दुश्मनी, यूँ कोई निभाता नहीं |
------- बेतखल्लुस
चल पड़ो तो, रास्ता बताती है, जिन्दगी |
देख लो इस जिन्दगी में गम बहुत भरा है |
बंज़र हो गयी जमीं, आसमानों को उतर आने दो |
गौर करो मुसाफिरों का, कैसे ये चलते हैं |
मकसद यूँ जिन्दगी का कोई बदलता नहीं |
राह में रोड़े यूँ, कोई अटकाता नहीं |
ज़माने में दुश्मनी, यूँ कोई निभाता नहीं |
------- बेतखल्लुस
7 टिप्पणियाँ:
bahut hi sundar
वाह बहुत ही सुन्दर और शानदार गज़ल दिल को छू गयी।
देख लो इस जिन्दगी में गम बहुत भरा है |
यूँ ख़ुशी अगर चाहो तो, उसमें क्या बुरा है || ३ ||
बंज़र हो गयी जमीं, आसमानों को उतर आने दो |
सोख लेने दो पानी, फिर से हरा-भरा हो जाने दो || ४ ||
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
बहुत सुंदर भाव लिए बेमिसाल गजल ,अच्छे और सुंदर शब्दों का चयन /बहुत बहुत बधाई आपको
बहुत खूबसूरत रचना दोस्त जी |
अच्छी प्रस्तुति
behad sunder......
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Thanks for your valuable comment.