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तवा अभी ठंडा है

Written By Brahmachari Prahladanand on मंगलवार, 26 जुलाई 2011 | 10:18 am

तवा अभी ठंडा है, अभी कुछ पका नहीं सकते |
लकडियाँ अभी गीली हैं, अभी जला नहीं सकते || १ ||

चल पड़ो तो, रास्ता बताती है, जिन्दगी | 
रुक जाओ तो, ऊपर उठाती है, जिन्दगी || २ ||

देख लो इस जिन्दगी में गम बहुत भरा है | 
यूँ ख़ुशी अगर चाहो तो, उसमें क्या बुरा है || ३ ||

बंज़र हो गयी जमीं, आसमानों को उतर आने दो | 
सोख लेने दो पानी, फिर से हरा-भरा हो जाने दो || ४ ||

गौर करो मुसाफिरों का, कैसे ये चलते हैं | 
राह अभी छोड़ी नहीं, मंजिल पर मिलते हैं || ५ ||

मकसद यूँ जिन्दगी का कोई बदलता नहीं |
राह में रोड़े यूँ, कोई अटकाता नहीं |
ज़माने में दुश्मनी, यूँ कोई निभाता नहीं | 
दोस्त न भी करो तो, दुश्मनी यूँ कोई करता नहीं || ६ ||

                                                       ------- बेतखल्लुस

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7 टिप्पणियाँ:

vidhya ने कहा…

bahut hi sundar

vandana gupta ने कहा…

वाह बहुत ही सुन्दर और शानदार गज़ल दिल को छू गयी।

सदा ने कहा…

देख लो इस जिन्दगी में गम बहुत भरा है |
यूँ ख़ुशी अगर चाहो तो, उसमें क्या बुरा है || ३ ||

बंज़र हो गयी जमीं, आसमानों को उतर आने दो |
सोख लेने दो पानी, फिर से हरा-भरा हो जाने दो || ४ ||
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

prerna argal ने कहा…

बहुत सुंदर भाव लिए बेमिसाल गजल ,अच्छे और सुंदर शब्दों का चयन /बहुत बहुत बधाई आपको

Minakshi Pant ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना दोस्त जी |

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति

mridula pradhan ने कहा…

behad sunder......

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