मेरी बिटिया सदफ जो ६ वर्ष की है और सेंट जोसेफ स्कूल बेराज रोड कोटा में सेकंड क्लास में पढ़ती है कल उसकी क्लास में हुए क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीत कर उसने जो ख़ुशी ज़ाहिर की वोह देखने लायाक थी उसकी ख़ुशी से हम खुद भी अपनी ख़ुशी नहीं रोक सके ...............दोस्तों मेरी सबसे छोटी बिटिया सदफ शुरू से ही पढने कमाल करती आई है लेकिन अतिरिक्त एक्टिविटी में भी वोह स्कूल के सभी कार्यक्रमों में हिस्सेदार रही है वोह नर्सरी से एच के जी तक मोनिटर रही फिर उनके स्कूल में निर्वाचन के आधार पर क्लास प्रतिनिधि चुनने का प्रावधान है क्लास फर्स्ट में वोह क्लास प्रतिनिधि निर्वाचित हुई लेकिन हमें कोई खास ख़ुशी नहीं थी ..इस बार पिछले सप्ताह स्कूल से जब बिटिया सदफ आई तो उसने मुझ से बढे भाई शाहरुख से , बहन जवेरिया से , मेरी शरीके हयात रिजवाना से और मेरे मम्मी पापा से एक ही बात कही के वोह स्कूल के क्लास प्रतिनिधि यानि सेकंड क्लास के प्रतिनिधि के चुनाव में खड़ी हुई है उसके अलावा एक लडकी और एक लडका और इस चुनाव में खड़ा है इसलिए सभी मिलकर उसके दुआ करे के वोह चुनाव में हर कीमत पर जीत कर आये ...उसका कहना था के पापा जो लड़का उसके मुकाबिल खड़ा है वोह तो बच्चों को चोकलेट देकर वोट मांग रहा है ..हमने बिटिया को समझाया के बेटा तुम तुम्हारे कर्म और तुम्हारे अखलाक से अगर तुम्हारे साथ के बच्चों की पसंद बन कर जीतो तो ठीक रहेगा वरना जो होगा देखा जायेगा .....खेर वक्त निकल गया और कल हमारी बिटिया सदफ क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीत कर जब बेच लायी तो उसकी ख़ुशी का पारावार नहीं था उसने बताया केसे एसेम्बली में सबके सामने उसे बुलाकर तालियों की गडगडाहट के बीच उसकी जीत की घोषणा की गयी और फिर खुशियों की बहार उसके मुख पर देखने लायक थी .................दोस्तों बात तो छोटी सी है लेकिन में स्कूलों में छोटी छोटी क्लासों में नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा देने और सेवा कार्यों का बच्चों में भाव पैदा करने की इस दोस्ताना चुनाव की खूबियों को देखने लगा और सोचता रहा के बच्चों से लेकर बड़ों तक , स्कूल से लेकर कोलेज और फिर लोकसभा तक चनाव जो होते हैं उसमे कितना फर्क हो जाता है ..एक बच्चे का चुनाव जो बिना किसी खर्च के खामोशी से हो गया एक छात्रनेता यानी कोलेज का चुनाव जो काफी खर्चीला और उदंडता का हो गया है और फिर विधायक और लोकसभा के चुनाव में करोड़ों के खरीद फरोख्त के जो खेल होते हैं वोह तो आप सब जानते ही है ऐसे में सियासत बुरी है या उसे करने वाले बुरे हैं कुछ समझ नहीं आ पाता काश सभी चुनाव स्कूल के क्लास प्रतिनिधि की तरह शांत तरीके से हो तो शायद देश में कुछ सुधार आ जाए ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
3 टिप्पणियाँ:
आदरणीय - अख्तर खान अकेला भाई -प्यारी बिटिया सदफ को मुबारकवाद दीजियेगा -बच्चों को प्रोत्साहन मिलते रहना चाहिए -उनकी ख़ुशी में शामिल हो उन्हें खुश रखें -मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं भविष्य उसका जगमगाता रहे -धन्यवाद
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-शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का झरोखा -दर्द-ए -दिल
उसने बताया केसे एसेम्बली में सबके सामने उसे बुलाकर तालियों की गडगडाहट के बीच उसकी जीत की घोषणा की गयी और फिर खुशियों की बहार उसके मुख पर देखने लायक थी ..........
Akhtar khaan ji aapka lekh padha bachche kuch hasil karen unke liye to hai hi mata pita ke liye bhi garv ki baat hoti hai.aapke lekh se bhi yeh khushi poori tarah jhalak rahi hai.bachchi hai hi itni pyaari.isi lekh se judi hui jo chunaav ki baat aapne likhi hai kaabile tareef hai jab itni badi khushi bina kisi kharch ke pa sakte hain to bade bade chunaav me karodon ka kharch kyun??par ve log votron ko bina paise khareedenge kaise???....bahut achcha lekh.
badhaee ho bhai !
aulaad ki chhoti see khushiyon men bhi maan-baap kitne khush ho jate hain, aapki post ke zariye zahir ho jaa raha hai..
waise meri beti ne to isi saal school jana shuru kia hai.....
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Thanks for your valuable comment.