गम था, बेदर्द जिन्दगी का फ़साना था |
अब बीत गया, जो अपना जमाना था |
हर दिल आह भरता था |
हर सख्स फ़ना होता था |
हर नज़र राह तकती थी |
हर जान हमपर मरती थी |
वो क्या दिन थे, वो क्या थी रातें |
गुज़र गए दिन, बीत गयी वो रातें |
अपना भी कुछ अफसाना सुनाना था |
ज़माने को कुछ और याद दिलाना था |
ज़माना भूल न सकेगा, मेरा अफसाना था |
क़िस्से सुनाएगा जमाना ऐसा अफसाना था |
हम भी मिसाल बन गए, जिन्दगी में |
हम भी कमाल कर गए, जिन्दगी में |
मोहब्बत का हर काम किया |
गम से जुड़ा हर काम किया |
काम न नाम के लिए किया |
काम बस काम के लिए किया |
अब तो बस तन्हाई है |
जिन्दगी की वफाई है |
अकेलेपन की रुखाई है |
किसी की याद सताई है |
सूने-सूने दिन, सूनी-सूनी रातें |
गुज़रे हुए दिन, गुजरी हुई रातें |
यादों के सहारे, किसी से न बतियाते |
मसरूफ हैं, मशगूल हैं |
दिल को अपने सुकूँ है |
उसी के सहारे, उसी से हैं बतियाते |
गम था, बेदर्द जिन्दगी का फ़साना था |
अब बीत गया, जो अपना जमाना था |
अब बीत गया, जो अपना जमाना था |
हर दिल आह भरता था |
हर सख्स फ़ना होता था |
हर नज़र राह तकती थी |
हर जान हमपर मरती थी |
वो क्या दिन थे, वो क्या थी रातें |
गुज़र गए दिन, बीत गयी वो रातें |
अपना भी कुछ अफसाना सुनाना था |
ज़माने को कुछ और याद दिलाना था |
ज़माना भूल न सकेगा, मेरा अफसाना था |
क़िस्से सुनाएगा जमाना ऐसा अफसाना था |
हम भी मिसाल बन गए, जिन्दगी में |
हम भी कमाल कर गए, जिन्दगी में |
मोहब्बत का हर काम किया |
गम से जुड़ा हर काम किया |
काम न नाम के लिए किया |
काम बस काम के लिए किया |
अब तो बस तन्हाई है |
जिन्दगी की वफाई है |
अकेलेपन की रुखाई है |
किसी की याद सताई है |
सूने-सूने दिन, सूनी-सूनी रातें |
गुज़रे हुए दिन, गुजरी हुई रातें |
यादों के सहारे, किसी से न बतियाते |
मसरूफ हैं, मशगूल हैं |
दिल को अपने सुकूँ है |
उसी के सहारे, उसी से हैं बतियाते |
गम था, बेदर्द जिन्दगी का फ़साना था |
अब बीत गया, जो अपना जमाना था |
2 टिप्पणियाँ:
bahut achchi lagi......
हर दिल आह भरता था |
हर सख्स फ़ना होता था |
हर नज़र राह तकती थी |
हर जान हमपर मरती थी |
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दहेज़ कु-प्रथा !
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