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बड़े अच्छे लगते हैं-२

Written By Pappu Parihar Bundelkhandi on मंगलवार, 12 जुलाई 2011 | 12:15 pm

बड़े अच्छे लगते हैं-2
Bade Achhe Lagte Hain-2

प्रिया

प्रिया
इंतज़ार ख़त्म हुआ |
दिल सुकुनदार हुआ |
मददगार प्यार मिला |
तलब्दार यार मिला |

पता चला माँ-बाप के प्यार का |
पता चला प्यार के इज़हार का |
पता चला माँ-बाप के दुलार का |
पता चला मजबूर माँ-बाप का |


विक्रम 


विक्रम
जब आप किसी के खम्बे होते हैं |
आपके कंधे किसी को थाम्बे होते हैं |
जब सोच वहां से हटने की आती है |
जब बात अपनी तरक्की की आती है |

कैसे हटे वहां से, किसे रखे वहां पर |
क्या करें ऐसे में, क्या न करें ऐसे में |
सोच कर दिमाग फट जाने को होता है |
दिल बड़ी कशमशाहट में होता है |

बात जब दोस्ती की आती है |
अब कैसे वो निभायी जाती है |
बात अब न समझ में आती है |
दिल-दिमाग दोनों को खाती है |

वक्त अभी ये ऐसा आना था |
मेरी तरक्की का बहाना था |
दोस्त से यूँ दूर न जाना था |
अब कैसा यह फ़साना था |


नताशा

नताशा
आखिर तुमने किया वही  |
अपना घमंड जिया अभी |
दिखा दी अपनी औकात |
तोड़ दी अपनी सौगात |

तुमने किसी को समझा क्या है |
तुमने दुनिया को जाना क्या है |
बाहर तो निकलो कभी |
गुरुर तो छोड़ना अभी |

एक इज्ज़तदार को बेईज्ज़त किया |
सब किये कराये पर पानी फेर दिया |
तुम क्या समझती हो, प्यार उसे तुम्हारी दौलत से है |
तुम उस पर मरती हो, तुम्हे प्यार उसकी सोहलत से है |










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