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फ़िर आँखों मे पानी है

Written By नीरज द्विवेदी on शुक्रवार, 8 जुलाई 2011 | 9:25 pm

आज बहुत दिनों बाद एक कसक सी उठ रही है,
हमने ये समझा था कि हम भूल सकते हैं उन्हें,
पर सच यह है कि वो आग अभी तक जल रही है,
यह जलन अभी बाकी है, याद धुएँ सी उड रही है॥
एक कसक सी उठ रही है।

आज बहुत दिनों बाद उनसे फ़िर कुछ कहना है,
आपके जाने पर दिल का एक कोना खाली है,
सब होते हुये मुझे आज यही कोना भरना है,
बहुत जी ली जिन्दगी आज मुझे पूरा होना है॥
उनसे फ़िर कुछ कहना है।

आज बहुत दिनों बाद फ़िर पागल हो चुका हूँ,
पता नही वो हमें याद करते होंगे या नही,
वैसे हम भी उन्हे भूल जाने का दम भरते हैं,
कितना समझाया, अब समझदारी खो चुका हूँ॥
फ़िर से पागल हो चुका हूँ।
आज बहुत दिनों बाद फ़िर आँखो मे पानी है,
खुशहाल जिन्दगी है, दुनिया फिर से बेगानी है,
हमने समझा कि हम भूल सकते हैं उन्हे यूँ ही,
पर कैसे भुला दें उन्हें जब वो इतनी सुहानी है॥
आज बहुत दिनों बाद फ़िर आँखो मे पानी है।
फ़िर आँखो मे पानी है।


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2 टिप्पणियाँ:

shyam gupta ने कहा…

इन आँखों की बदौलत दिल पे आफत आही जाती है ,
नज़र कोई न कोई अच्छी सूरत आ ही जाती है ||

Unknown ने कहा…

यह जलन अभी बाकी है, याद धुएँ सी उड रही है॥
बहुत जी ली जिन्दगी आज मुझे पूरा होना है॥
आज बहुत दिनों बाद फ़िर आँखो मे पानी है,

Waah ! Aisa Laga Jaise Aapne Mere Dil Ki Baat Kah Di... Bhavanaon Se Sani Hui Rachna Bahut Acchhi Lagi..

anilavtaar.blogspot.com

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