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मुंबई में कल 13 जुलाई 2011 को हुए बम ब्लास्ट के संदर्भ में हमारे प्रिय प्रवीण जी यह सवाल पूछ रहे हैं कि
ये आतंकवादी दरअसल अमन के दुश्मन हैं। इनके कुछ आक़ा हैं, जिनके कुछ मक़सद हैं। ये लोकल भी हो सकते हैं और विदेशी भी। जो कोई भी हो लेकिन इनके केवल राजनीतिक उद्देश्य हैं। ये लोग चाहते हैं कि भारत के समुदाय एक दूसरे को शक की नज़र से देखें और एक दूसरे को इल्ज़ाम दें। कुछ तत्व नहीं चाहते कि जनता अपनी ग़रीबी और बर्बादी के असल गुनाहगारों को कभी जान पाए। जनता का ध्यान बंटाने और उन्हें बांटकर आपस में लड़ाने की साज़िश है यह किसी की। इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं, उन तक पहुंचना भी मुश्किल है और उन्हें खोद निकालना भी। कुछ जड़ों से तो लोग श्रृद्धा और समर्पण के रिश्ते से भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में कोई क्या कार्रवाई करेगा ?
इस बार भी बस ग़रीब ही पिसेगा !
उसी का ख़ून पानी है वही बहेगा !!
उसी का ख़ून पानी है वही बहेगा !!
दोस्तो ! आज लोगों ने दौलत को ही सब कुछ समझ लिया है। आज देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कि दौलत की ख़ातिर कुछ भी कर सकते हैं। इनमें ग़रीबी से जूझते हुए लोग भी हैं और वे लोग भी हैं जिनकी तोंद पर हद से ज़्यादा चर्बी जमा है यानि कि ख़ूब खाते-पीते हैं। इन आतंकवादियों में नास्तिक भी हैं और धर्म की विकृत समझ रखने वाले आस्तिक भी। इन लोगों के दिलो-दिमाग़ का प्यूरिफ़िकेशन ज़रूरी है। हमारे लिए करने का काम यही है। जब तक यह काम नहीं किया जाएगा तब तक आतंकवाद का सिलसिला थमने वाला नहीं है। इसे सेना, पुलिस और क़ानून की मदद से रोकना मुश्किल है। विकसित देश तक इसके सामने लाचार हैं। आतंकवाद जीवन के सही बोध के अभाव से जन्म लेता है। जब तक मानव जाति को वह बोध उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, मानव जाति को आतंकवाद से मुक्ति मिलने वाली नहीं है। हमें गर्व और अफ़सोस से आज तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। हमें अब वह काम करना होगा जिससे कि कुछ हासिल हो। हमें मानव जाति को उसके जीवन के सही उद्देश्य का बोध कराना होगा, उसे सही ग़लत की तमीज़ देनी होगी और ऐसे लोगों का बहुमत बनाना होगा। जब ऐसे लोगों का बहुमत हो जाएगा, दुष्ट लोग ख़ुद ही क्षीण हो जाएंगे और तब भी वे कुछ करेंगे तो उन्हें राजनैतिक संरक्षण देने वाला कोई न होगा। उनका विनाश निश्चित होगा, यह तय है।
इस विषय पर यह लेख भी आतंकवादियों के मददगारों की शिनाख्त में उपयोगी है :
4 टिप्पणियाँ:
धीरज रखें ||
हमेशा ऐसा नहीं होगा ||
हम जरुर सुधरेंगे ||
हर-हर बम-बम
बम-बम धम-धम |
थम-थम, गम-गम,
हम-हम, नम-नम|
शठ-शम शठ-शम
व्यर्थम - व्यर्थम |
दम-ख़म, बम-बम,
तम-कम, हर-दम |
समदन सम-सम,
समरथ सब हम | समदन = युद्ध
अनरथ कर कम
चट-पट भर दम |
भकभक जल यम
मरदन मरहम ||
राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |
Sahi kaha aapne .. ye es desh ke neta hi sale gaddar hai, desh drohi hain , ye sab hi hame ekdusre ladvakar apna ullu seedha karna chahte hain....
Par es baar aisa nahi hoga ... en desh ke androoni deshdrohiyon ko bhi muhtod jabab milega.
jai hind
ek dam sach baat boli hai apne
धन्यवाद !
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Thanks for your valuable comment.