समाचार कि परीभाषा क्या आप बता सकते है ? हो सकता है कि जब आप इस लेख को इस के title से जोड़ना चाहें तो आप को यह title उपयुक्त न लगे मगर आगे इस विषय में कुछ भी लिखने से पहले मेरे मन में कुछ सवाल उठ रहे हैं जैसे समाचार क्या है ? एक समाचार का क्या काम होता है, जब में यहाँ UK में रहकर हिन्दी न्यूज़ चेनल्स पर समाचार सुनती हूँ, और देखती हूँ तो मुझे बेहद अफ़सोस होता है। आज कल के पत्रकारों ने, मीडिया ने, आज समाचार शब्द कि परिभाषा ही बदल डाली है। आज कल समाचार का अर्थ हो गया है। सिर्फ अपने देश कि कमियौं या यूँ कहिये कि कमज़ोरियौं को उभार-उभार कर दिखाना। इस के अलावा मुझे नहीं लगता कि आज कल समाचार शब्द का और कोई अर्थ रहे गया है। मैं यह नहीं कहती कि कोई एक न्यूज़ चेन्नल ही एसा दिखता है। यहाँ आने वाले सभी हिन्दी न्यूज़ चेनल्स का यही हाल है।
आप को लग रहा होगा कि इस में कौन सी नयी बात है। मैं भी यही कहूंगी इस में कोई नयी बात नहीं है, किन्तु यहाँ रहकर अपने देश कि ख़बरों के नाम पर सिर्फ और सिर्फ वहाँ कि कमजोरियां और बुराईयाँ ही देखने को मिलती है। जिसके चलते हमारे देश कि छवि यहाँ रहने वाले लोगों के मन में ही नहीं बल्कि यहाँ रह रहे भारितियों के मन में भी भारत कि छवि को ख़राब करती है और जब हम अपने बच्चों को अपने देश का सम्मान करना चाहिये जैसी बातें सिखाना चाहते है, तो हमारे पास उन्हें बताने के लिये केवल और केवल इतिहास ही रहता है आखिर क्यूँ ?
क्या इतिहास केवल एक ही बार रचा जासकता है। या हमारे देश में क्या इतिहास एक ही बार रचा गया है।
आज भी जब भी टीवी खोलो तो समाचार के नाम पर क्या सुनने और देखने को मिलता है एक हवाहीजहाज चलने वाले pilot की प्लैन चलते हुए मौत ,या फिर बिजिली विभाग कि लापरवाई के कारण एक ७ साल कि बच्ची कि मौत ...या दो राजनितिक दल को एक दुसरे पर किसी भी छोटे बड़े मुदे को लेकर लालचन लगाना और ज्यादा हुआ तो नवरात्री के चलते देश में महाअष्टमी कि धूम ....क्या बस यही होते हैं समाचार जब देखो केवल अपने देश कि आलोचना ही सुनाता है हर न्यूज़ चेन्नल क्या हमारे देश में कभी कुछ अच्छा नहीं होता,? क्या हमारे देश में सिर्फ कमज़ोरियाँ ही कमजोरिय हैं? एक तरफ लोग कहते फिरते है PROUD TO BE AN INDIAN अर्थात'' भारतीय होने पर गर्व करो कि आप भारतीय हो'' ....मैंने भी इस बात में बहुत यकींन करती हूँ और मानती भी हूँ कि हाँ में एक भारतीय हूँ और मुझे इस बात पर बहुत गर्व है .... लेकिन दूसरी और कुछ आलोचना करने वाले व्यक्ति कहते है। किस बात पर हम यह कहते हैं कि हमें भारतीय होने का गर्व होना चाहिये आज हमारे देश के हालातों के चलते हमारे पास एक भी एसा कारण नहीं है, जिसके आधार पर हम यह कह सके कि हाँ हमको भारतीय होने पर गर्व है और उद्हारण के लिये कहा जाता है किस बात पर गर्व करें हम हमारे देश कि बढती जनसंख्या के कारण,? बढ़ती गरीबी के कारण जिसके चलते हमारे देश वासियौं को दो वक़्त का खाना भी ठीक से नसीब नहीं होता और ऐसे नजाने कितने अनगिनत परिवार है जो शायद जानवर से बुरी ज़िन्दगी गुज़र रहे हैं या फिर इन ही कारणों से बढ़ती बेरोजगारी और आतकवाद के कारण इन सभी बातों में से कौन सी ऐसी बात है जिस पर हम गर्व कर सके और कह सकें कि हाँ हमको भारतीय होने पर गर्व है लेकिन यहाँ सवाल यह उठता है कि माना कि आज हमारे देश के हालत बहुत हद तक ऐसी ही हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं की इस सब के चलते हमारे देश में कुछ भी अच्छा है ही नहीं अभी हाल ही में ख़त्म हुए CWG के चलते भी सभी न्यूज़ चेनल्स चिला-चिला कर आलोचन कर रहे थे और समापन के बाद सभी का रुख बदला गया और वहा- वही के गीत गये जाने लगे।
लेकिन मेरा सवाल यहाँ यह है कि क्या कारण है जो आज हमारे देश कि हालत ऐसी है ?क्या आप को नहीं लगता इस में भी मीडिया एक का बहुत बड़ा हाथ है और कही ना कही मीडिया भी जिमेदार है इस सब का जहाँ तक मेरे जानकरि है और मैंने पढ़ा है मेरे हिसाब से समाचार का अर्थ हुआ करता था जन चेतना और समाचार पत्रों के ज़रिये लोगों में क्रांती जगाना मगर आज देखो तो सब उलटा ही है क्रांति जगाना या लोगों को जगाना तो दूर की बात है। समाचार पत्रों के पास कोई खबर ही नहीं होती है पढने या सुने पर लगता है कि आज कल के समाचार पत्र और न्यूज़ चेनल्स के पास ख़बरों के नाम पर सिर्फ फ़िल्मी दुनिया रह गयी है हमेशा जब देखो खबरों के नाम पर बस केवल फ़िल्मी सितारों के निजी ज़िन्दगी से जुडी बातों के आलावा और कुछ होता ही नहीं है आज कल के न्यूज़ चेन्न्ल्स के पास....या फिर वह काम करते हैं डर फेलाने का जब कि उनका काम होना चाहिये डर भगाने का जब तो यहाँ वहाँ हो रहे हादसों कि खबर देंना छोटे मोटी वारदातों को बढ़ा-चढ़ा कर पूरा मिर्च मसाला लगा कर लोगों के सामने प्रस्तुत करना कि दर्शक उस विषय पर गंभीरता से सोचने पर मजबूर होजाए फिर चाहे बात कितनी छोटी सी ही क्यूँ न हो मेरे समझ में तो यह नहीं आता कि यह पत्रकार और मीडिया वाले लोग इतनी सी बात क्यूँ नहीं समझते कि जब बर्तन ज़यादा होंगे तो खडकेंगे ही, जैसे जब परिवार बड़ा होता है तो हस्सी खुशी के साथ साथ झगड़े होना भी स्वाभाविक सी बात है। ठीक इसी तरह हमारा देश भी तो इतना बड़ा है, तो फिर अगर वहाँ के किसी छोटे से शहर में यदि कभी कोई दुर्घटना या हादसा हो जाता है तो क्यूँ लोग राई का पहाड़ बनाना शुरू कर दिया करते हैं। उदहारण के तौर पर दिल्ली के शहर गाज़ियाबाद में घटे दुर्घटनाये खबरों को इस तरह से पेश किया जाता है, कि आज लोग गाज़ियाबाद के आस पास रहने के बारे में दस बार सोचते हैं मुंबई में कोई घटना घट जाति है तो उसे भी ऐसे ही लोग के समक्ष इस तरह से प्र्सुस्त किया जाता है कि लोग वहाँ जाने से पहले भी सोचते हैं और देश से बहार रह रहे लोगों के मन में तो उन शेहरों के प्रती छवि ही बदल जाती है। आज हालत ऐसी हैं जो लोग वापस भारत लौटना चाहाते है वो समाचार के आधार पर सही निर्णय नहीं लेपाते कि वह कहाँ रहना चहाते है। जहाँ का सोचते वहीँ कोई न कोई ऐसी घटना घटने का समाचार देखने या सुने को मिलता है कि उसके चलते एक आम इन्सान को बेहद सोचना पड़ जाता है कि वह ऐसा कौन सा शहर चुने जहाँ कम से कम जुरुम हो कम से कम वारदातें हों क्या यह सही है।
मैं यह नहीं कहती कि समाचार पत्रों और न्यूज़ चेनल्स को देश के हर शेत्र की जानकारी नहीं देनी चाहिये ज़रूर देनी चाहिये लेकिन हमेशा वहाँ हो रही छोटे मोटी घटनाओ का ही विवरण नहीं बल्कि वहाँ हो रही कुछ अच्छे कामों को भी आम जनता के सामने प्रस्तुत करना चाहिये ताकि उस जगह से सम्भाधित सभी जानकारियां लोगों तक पहुँच सकें न कि केवल डर
अंत में बस इतना ही कहना चाहूगी सभी पत्रकारों और न्यूज़ चेनल वालों से कि आप अपना काम ज़रूर करें किन्तु सही ढंग से करे ताकि आम जनता सही और ग़लत जानकारी में अन्तर कर सके और सही निर्णय ले सके बिना किसी डर के बिना किसी दवाब के और आप भी निर्भीक होकर समाचार प्रस्तुत करें न कि सिर्फ अपने न्यूज़ चेन्नल कि TRP बढ़ाये ताकि हम जैसे लोग जो कि अपने देश से बहार रहे रहै हैं आपने बच्चों को सिखा सकें कि ''Proude to be an indian''...जय हिंद...
आप को लग रहा होगा कि इस में कौन सी नयी बात है। मैं भी यही कहूंगी इस में कोई नयी बात नहीं है, किन्तु यहाँ रहकर अपने देश कि ख़बरों के नाम पर सिर्फ और सिर्फ वहाँ कि कमजोरियां और बुराईयाँ ही देखने को मिलती है। जिसके चलते हमारे देश कि छवि यहाँ रहने वाले लोगों के मन में ही नहीं बल्कि यहाँ रह रहे भारितियों के मन में भी भारत कि छवि को ख़राब करती है और जब हम अपने बच्चों को अपने देश का सम्मान करना चाहिये जैसी बातें सिखाना चाहते है, तो हमारे पास उन्हें बताने के लिये केवल और केवल इतिहास ही रहता है आखिर क्यूँ ?
क्या इतिहास केवल एक ही बार रचा जासकता है। या हमारे देश में क्या इतिहास एक ही बार रचा गया है।
आज भी जब भी टीवी खोलो तो समाचार के नाम पर क्या सुनने और देखने को मिलता है एक हवाहीजहाज चलने वाले pilot की प्लैन चलते हुए मौत ,या फिर बिजिली विभाग कि लापरवाई के कारण एक ७ साल कि बच्ची कि मौत ...या दो राजनितिक दल को एक दुसरे पर किसी भी छोटे बड़े मुदे को लेकर लालचन लगाना और ज्यादा हुआ तो नवरात्री के चलते देश में महाअष्टमी कि धूम ....क्या बस यही होते हैं समाचार जब देखो केवल अपने देश कि आलोचना ही सुनाता है हर न्यूज़ चेन्नल क्या हमारे देश में कभी कुछ अच्छा नहीं होता,? क्या हमारे देश में सिर्फ कमज़ोरियाँ ही कमजोरिय हैं? एक तरफ लोग कहते फिरते है PROUD TO BE AN INDIAN अर्थात'' भारतीय होने पर गर्व करो कि आप भारतीय हो'' ....मैंने भी इस बात में बहुत यकींन करती हूँ और मानती भी हूँ कि हाँ में एक भारतीय हूँ और मुझे इस बात पर बहुत गर्व है .... लेकिन दूसरी और कुछ आलोचना करने वाले व्यक्ति कहते है। किस बात पर हम यह कहते हैं कि हमें भारतीय होने का गर्व होना चाहिये आज हमारे देश के हालातों के चलते हमारे पास एक भी एसा कारण नहीं है, जिसके आधार पर हम यह कह सके कि हाँ हमको भारतीय होने पर गर्व है और उद्हारण के लिये कहा जाता है किस बात पर गर्व करें हम हमारे देश कि बढती जनसंख्या के कारण,? बढ़ती गरीबी के कारण जिसके चलते हमारे देश वासियौं को दो वक़्त का खाना भी ठीक से नसीब नहीं होता और ऐसे नजाने कितने अनगिनत परिवार है जो शायद जानवर से बुरी ज़िन्दगी गुज़र रहे हैं या फिर इन ही कारणों से बढ़ती बेरोजगारी और आतकवाद के कारण इन सभी बातों में से कौन सी ऐसी बात है जिस पर हम गर्व कर सके और कह सकें कि हाँ हमको भारतीय होने पर गर्व है लेकिन यहाँ सवाल यह उठता है कि माना कि आज हमारे देश के हालत बहुत हद तक ऐसी ही हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं की इस सब के चलते हमारे देश में कुछ भी अच्छा है ही नहीं अभी हाल ही में ख़त्म हुए CWG के चलते भी सभी न्यूज़ चेनल्स चिला-चिला कर आलोचन कर रहे थे और समापन के बाद सभी का रुख बदला गया और वहा- वही के गीत गये जाने लगे।
लेकिन मेरा सवाल यहाँ यह है कि क्या कारण है जो आज हमारे देश कि हालत ऐसी है ?क्या आप को नहीं लगता इस में भी मीडिया एक का बहुत बड़ा हाथ है और कही ना कही मीडिया भी जिमेदार है इस सब का जहाँ तक मेरे जानकरि है और मैंने पढ़ा है मेरे हिसाब से समाचार का अर्थ हुआ करता था जन चेतना और समाचार पत्रों के ज़रिये लोगों में क्रांती जगाना मगर आज देखो तो सब उलटा ही है क्रांति जगाना या लोगों को जगाना तो दूर की बात है। समाचार पत्रों के पास कोई खबर ही नहीं होती है पढने या सुने पर लगता है कि आज कल के समाचार पत्र और न्यूज़ चेनल्स के पास ख़बरों के नाम पर सिर्फ फ़िल्मी दुनिया रह गयी है हमेशा जब देखो खबरों के नाम पर बस केवल फ़िल्मी सितारों के निजी ज़िन्दगी से जुडी बातों के आलावा और कुछ होता ही नहीं है आज कल के न्यूज़ चेन्न्ल्स के पास....या फिर वह काम करते हैं डर फेलाने का जब कि उनका काम होना चाहिये डर भगाने का जब तो यहाँ वहाँ हो रहे हादसों कि खबर देंना छोटे मोटी वारदातों को बढ़ा-चढ़ा कर पूरा मिर्च मसाला लगा कर लोगों के सामने प्रस्तुत करना कि दर्शक उस विषय पर गंभीरता से सोचने पर मजबूर होजाए फिर चाहे बात कितनी छोटी सी ही क्यूँ न हो मेरे समझ में तो यह नहीं आता कि यह पत्रकार और मीडिया वाले लोग इतनी सी बात क्यूँ नहीं समझते कि जब बर्तन ज़यादा होंगे तो खडकेंगे ही, जैसे जब परिवार बड़ा होता है तो हस्सी खुशी के साथ साथ झगड़े होना भी स्वाभाविक सी बात है। ठीक इसी तरह हमारा देश भी तो इतना बड़ा है, तो फिर अगर वहाँ के किसी छोटे से शहर में यदि कभी कोई दुर्घटना या हादसा हो जाता है तो क्यूँ लोग राई का पहाड़ बनाना शुरू कर दिया करते हैं। उदहारण के तौर पर दिल्ली के शहर गाज़ियाबाद में घटे दुर्घटनाये खबरों को इस तरह से पेश किया जाता है, कि आज लोग गाज़ियाबाद के आस पास रहने के बारे में दस बार सोचते हैं मुंबई में कोई घटना घट जाति है तो उसे भी ऐसे ही लोग के समक्ष इस तरह से प्र्सुस्त किया जाता है कि लोग वहाँ जाने से पहले भी सोचते हैं और देश से बहार रह रहे लोगों के मन में तो उन शेहरों के प्रती छवि ही बदल जाती है। आज हालत ऐसी हैं जो लोग वापस भारत लौटना चाहाते है वो समाचार के आधार पर सही निर्णय नहीं लेपाते कि वह कहाँ रहना चहाते है। जहाँ का सोचते वहीँ कोई न कोई ऐसी घटना घटने का समाचार देखने या सुने को मिलता है कि उसके चलते एक आम इन्सान को बेहद सोचना पड़ जाता है कि वह ऐसा कौन सा शहर चुने जहाँ कम से कम जुरुम हो कम से कम वारदातें हों क्या यह सही है।
मैं यह नहीं कहती कि समाचार पत्रों और न्यूज़ चेनल्स को देश के हर शेत्र की जानकारी नहीं देनी चाहिये ज़रूर देनी चाहिये लेकिन हमेशा वहाँ हो रही छोटे मोटी घटनाओ का ही विवरण नहीं बल्कि वहाँ हो रही कुछ अच्छे कामों को भी आम जनता के सामने प्रस्तुत करना चाहिये ताकि उस जगह से सम्भाधित सभी जानकारियां लोगों तक पहुँच सकें न कि केवल डर
अंत में बस इतना ही कहना चाहूगी सभी पत्रकारों और न्यूज़ चेनल वालों से कि आप अपना काम ज़रूर करें किन्तु सही ढंग से करे ताकि आम जनता सही और ग़लत जानकारी में अन्तर कर सके और सही निर्णय ले सके बिना किसी डर के बिना किसी दवाब के और आप भी निर्भीक होकर समाचार प्रस्तुत करें न कि सिर्फ अपने न्यूज़ चेन्नल कि TRP बढ़ाये ताकि हम जैसे लोग जो कि अपने देश से बहार रहे रहै हैं आपने बच्चों को सिखा सकें कि ''Proude to be an indian''...जय हिंद...
1 टिप्पणियाँ:
मेरा सभी पाठकों से विनम्र अनुरोध है, और सभी के लिए यह सुझाव भी की कृपया ब्लॉग बड़ा है या बहुत लम्बा है। यह देख कर कोई भी ब्लॉग को अनदेखा न करने एक बार पूरा न भी सही मगर थोड़ा तो पढ़ कर जरूर देखें। हो सकता है उसमें ऐसा कुछ लिखा हो जिस से आप भी सहमत हों धन्यवाद....
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Thanks for your valuable comment.