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मन को बाँध पाना मंत्र जप में नहीं है |
यही मंत्र जप का मंत्र एक दिन परेशान कर देगा |
फिर इस मंत्र से छुटकारा पाना मुश्किल हो जाएगा |
यही फिर टकराएगा और घूमेगा पूरे मन में |
चैन से न रहने देगा मन को और मनवाले को |
मंत्र जप करने वालों की हालत बड़ी बुरी होती है |
हाथ में माला और मुहं में मंत्र जप की बोली होती है |
मंत्र जप फिर निरंतर चलता रहता है |
जप करने वाले को वह ठीक से सोचने और शांत भी नहीं रहने देता है |
बात भी करता है तो मंत्र चलता है अन्दर |
अब उस मंत्र से वह भागना भी चाहता है तो भाग नहीं पाता |
मन को शांत करना है तो फिर करो कोई और उपाय |
या फिर करने दो उसे जो कर रहा है वह |
पर मत जाने दो शरीर को उसके पीछे |
शरीर के मालिक तुम हो यह जान कर चलो |
मन कितना भागेगा, आखिर भाग-भाग कर थक जाएगा |
बस ख्याल यह रखो की इसके पीछे शरीर को मत जाने दो |
फिर जब यह थक जाएगा और शरण तुम्हारी आएगा तो फिर काबू कर लो इसे |
और मालिक बन जाओ इसके, अब यह तुम्हारे कहे अनुसार चलेगा |
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मन को बाँध पाना मंत्र जप में नहीं है |
यही मंत्र जप का मंत्र एक दिन परेशान कर देगा |
फिर इस मंत्र से छुटकारा पाना मुश्किल हो जाएगा |
यही फिर टकराएगा और घूमेगा पूरे मन में |
चैन से न रहने देगा मन को और मनवाले को |
मंत्र जप करने वालों की हालत बड़ी बुरी होती है |
हाथ में माला और मुहं में मंत्र जप की बोली होती है |
मंत्र जप फिर निरंतर चलता रहता है |
जप करने वाले को वह ठीक से सोचने और शांत भी नहीं रहने देता है |
बात भी करता है तो मंत्र चलता है अन्दर |
अब उस मंत्र से वह भागना भी चाहता है तो भाग नहीं पाता |
मन को शांत करना है तो फिर करो कोई और उपाय |
या फिर करने दो उसे जो कर रहा है वह |
पर मत जाने दो शरीर को उसके पीछे |
शरीर के मालिक तुम हो यह जान कर चलो |
मन कितना भागेगा, आखिर भाग-भाग कर थक जाएगा |
बस ख्याल यह रखो की इसके पीछे शरीर को मत जाने दो |
फिर जब यह थक जाएगा और शरण तुम्हारी आएगा तो फिर काबू कर लो इसे |
और मालिक बन जाओ इसके, अब यह तुम्हारे कहे अनुसार चलेगा |
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6 टिप्पणियाँ:
बिल्कुल सही बात कही मन को बाँधने के लिये कोई मंत्र नही बना………इसे तो खुद से ही साधना पडता है।
यह पोस्ट अच्छी है जो वंदना की टिप्पणी पढ़ने को मिली है।
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ... बधाई ।
मन को शांत करना है तो फिर करो कोई और उपाय |
या फिर करने दो उसे जो कर रहा है वह |
Bahut acchhi rachna dwiwedi ji.. Badhai..
बहुत खूब लिखते है अाप,
मन की सुध हम सभी लेते है मगर मन की खिउकी दरवाजे हम कभी भी नहीं खोलते जोकि बहुत आवश्यक है हम सब के लिए
मन की मल मन की न मानने से धुलती हैा
और भी बहुत कुछ है लिखने को, बाद मे लिखगे
ak sacha satguru hi man ko sadh skta hai kyu ki man ke aage hi parmatma ka was hai
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Thanks for your valuable comment.