खुदा करे तेरे नूर की नूरानी कम न होने पाए |
कुछ जतन करो ऐसा कि कोई गम तुम्हें न होने पाए |
बशर्ते जिन्दगी का फलसफा तुम कुछ समझ पाए |
उससे पहले यह न जिन्दगी खत्म होने पाए |
गर तुझे खुदा मिल जाए तो कहना न किसी से |
नूर खुद अपनी कहानी कह देगा इस जहां से |
वक्त न जाया कर कुछ खुदा को भी याद कर |
मुद्दतें बीत जाती हैं खुद को खुद से भरमा कर |
मौत के दरवाजे पर मुत्त्सर नहीं होता लम्हा एक |
याद कर खुदा को बन जा बन्दा अब नेक |
नवाजिस है जुस्तुजू है रूह की इन्तहा है |
मत पूछ की तू कहाँ है तू कहाँ है तू कहाँ है |
यह जिन्दगी का नहीं, मौत का सफ़र है |
जिन्दगी बस मौत को भुलाने का कफर है |
शाम ढलने लगी है, अँधेरे को थोडा भगा दूँ |
शमा की रौशनी से चिरागों तो थोडा जला दूँ |
मौत से मत पूछ जिन्दगी किसे कहते हैं |
रुखसत हुआ इस जहाँ से लोग यूँ कहते हैं |
मौत का यह सफ़र है जिन्दगी का नहीं |
इसकी मंजिल तो मौत है जिन्दगी नहीं |
किस्सा ये साफगोई का यूँ ही ख़तम नहीं होता |
मंज़र पर मंज़र चले जाते हैं पर माजरा ख़तम नहीं होता |
रौशनी की रोशनाई में इबारतें लिख दी जाती हैं |
रौशनी ख़त्म हो जाती हैं पर किस्सा ख़तम नहीं होता |
वह ऐतबार ही क्या जो उठ जाए हकीकत से |
पेश कर हकीकतें उन मसीहाओं की ||
जानकर हकीकत उस खुदा की |
तेरा भी ऐतबार उस खुदा पर हो जाएगा ||
खुदा से न पूँछ अपने से सवाल कर |
सुर्रे को छककर पी फिर बवाल कर ||
रहयिक का स्वाद चख फिर मलाल कर |
है खुदा तेरे साथ इतना तो ख्याल कर ||
सुर्रा - नाभि
रहयिक - अमृत
विखरी हुई सासों को सम्हालने का वक्त आ गया |
सांसों के दरमियाँ रहने का वक्त आ गया |
------- बेतखल्लुस
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कुछ जतन करो ऐसा कि कोई गम तुम्हें न होने पाए |
बशर्ते जिन्दगी का फलसफा तुम कुछ समझ पाए |
उससे पहले यह न जिन्दगी खत्म होने पाए |
गर तुझे खुदा मिल जाए तो कहना न किसी से |
नूर खुद अपनी कहानी कह देगा इस जहां से |
वक्त न जाया कर कुछ खुदा को भी याद कर |
मुद्दतें बीत जाती हैं खुद को खुद से भरमा कर |
मौत के दरवाजे पर मुत्त्सर नहीं होता लम्हा एक |
याद कर खुदा को बन जा बन्दा अब नेक |
नवाजिस है जुस्तुजू है रूह की इन्तहा है |
मत पूछ की तू कहाँ है तू कहाँ है तू कहाँ है |
यह जिन्दगी का नहीं, मौत का सफ़र है |
जिन्दगी बस मौत को भुलाने का कफर है |
शाम ढलने लगी है, अँधेरे को थोडा भगा दूँ |
शमा की रौशनी से चिरागों तो थोडा जला दूँ |
मौत से मत पूछ जिन्दगी किसे कहते हैं |
रुखसत हुआ इस जहाँ से लोग यूँ कहते हैं |
मौत का यह सफ़र है जिन्दगी का नहीं |
इसकी मंजिल तो मौत है जिन्दगी नहीं |
किस्सा ये साफगोई का यूँ ही ख़तम नहीं होता |
मंज़र पर मंज़र चले जाते हैं पर माजरा ख़तम नहीं होता |
रौशनी की रोशनाई में इबारतें लिख दी जाती हैं |
रौशनी ख़त्म हो जाती हैं पर किस्सा ख़तम नहीं होता |
वह ऐतबार ही क्या जो उठ जाए हकीकत से |
पेश कर हकीकतें उन मसीहाओं की ||
जानकर हकीकत उस खुदा की |
तेरा भी ऐतबार उस खुदा पर हो जाएगा ||
खुदा से न पूँछ अपने से सवाल कर |
सुर्रे को छककर पी फिर बवाल कर ||
रहयिक का स्वाद चख फिर मलाल कर |
है खुदा तेरे साथ इतना तो ख्याल कर ||
सुर्रा - नाभि
रहयिक - अमृत
विखरी हुई सासों को सम्हालने का वक्त आ गया |
सांसों के दरमियाँ रहने का वक्त आ गया |
------- बेतखल्लुस
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