कुछ लोग ब्लॉगिंग के मैदान में आए थे मिशन की ख़ातिर और फिर लग गए नोट बनाने में। माल के लालच में ये लोग अपना ईमान और ज़मीर तक गिरवी रख चुके हैं या हो सकता है कि उसे बिल्कुल ही बेच डाला हो ?
इसके बावजूद वे ख़ुद को किसी मसीहा की मानिंद ही पेश करते हैं।
हिंदी ब्लॉगिंग गाइड की तैयारी का मक़सद यह है कि नए ब्लॉगर्स को मैदान में लाया जा सके क्योंकि गुटबाज़ी, पक्षपात और कम पात्र लोगों को ईनाम से नवाज़े जाने के हादसों ने बहुत से पुराने मगर कमज़ोर हिंदी ब्लॉगर्स के क़दम उखाड़ दिए हैं।
झूठ-फ़रेब और दग़ा को साहित्यिक भाषा में कूटनीति कहा जाता है। अभी तक तो मशहूर और सफल हिंदी एग्रीगेटर्स कम या ज़्यादा इसी कूटनीति को ही अपनी नीति बनाए हुए हैं।
बेईमान बहुल लोगों की सेवा करते करते ईमानदार भी उनकी चपेट में आ जाते हैं। इसी के साथ अच्छे लोग भी ब्लॉगिंग कर रहे हैं। उनका दायरा और उनकी ताक़त बढ़ेगी तो ईमानदारी का चलन भी बढ़ेगा।
उम्मीद पर दुनिया क़ायम है।
एग्रीगेटर न हो तो भी ब्लॉगिंग की जा सकती है और लोग ब्लॉग्स तक पहुंचते भी हैं। गूगल ब्लॉगर्स को पाठक भी देता है बशर्ते कि लेख उपयोगी हो और वह ज़्यादातर लोगों की ज़रूरत को पूरा करता हो।
ब्लॉगिंग के ज़रिए से सच कहना आज आसान हो गया है। सच सामने आकर ही रहेगा। अब यह किसी के रोके से रूकने वाला नहीं है।
नए ब्लॉगर आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी। लोग बढ़ेंगे तो हालात भी आज जैसे न रहेंगे। हिंदी ब्लॉगिंग गाइड लिखने का मक़सद यही है कि हिंदी ब्लॉगिंग को एक सार्थकता दी जाए। उसके ज़रिए से लोगों की सोच को बेहतर बनाया जाए।
हरेक हिंदी ब्लॉगर से इसमें सहयोग की अपील है।
शुक्रिया !
इसके बावजूद वे ख़ुद को किसी मसीहा की मानिंद ही पेश करते हैं।
हिंदी ब्लॉगिंग गाइड की तैयारी का मक़सद यह है कि नए ब्लॉगर्स को मैदान में लाया जा सके क्योंकि गुटबाज़ी, पक्षपात और कम पात्र लोगों को ईनाम से नवाज़े जाने के हादसों ने बहुत से पुराने मगर कमज़ोर हिंदी ब्लॉगर्स के क़दम उखाड़ दिए हैं।
झूठ-फ़रेब और दग़ा को साहित्यिक भाषा में कूटनीति कहा जाता है। अभी तक तो मशहूर और सफल हिंदी एग्रीगेटर्स कम या ज़्यादा इसी कूटनीति को ही अपनी नीति बनाए हुए हैं।
बेईमान बहुल लोगों की सेवा करते करते ईमानदार भी उनकी चपेट में आ जाते हैं। इसी के साथ अच्छे लोग भी ब्लॉगिंग कर रहे हैं। उनका दायरा और उनकी ताक़त बढ़ेगी तो ईमानदारी का चलन भी बढ़ेगा।
उम्मीद पर दुनिया क़ायम है।
एग्रीगेटर न हो तो भी ब्लॉगिंग की जा सकती है और लोग ब्लॉग्स तक पहुंचते भी हैं। गूगल ब्लॉगर्स को पाठक भी देता है बशर्ते कि लेख उपयोगी हो और वह ज़्यादातर लोगों की ज़रूरत को पूरा करता हो।
ब्लॉगिंग के ज़रिए से सच कहना आज आसान हो गया है। सच सामने आकर ही रहेगा। अब यह किसी के रोके से रूकने वाला नहीं है।
नए ब्लॉगर आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी। लोग बढ़ेंगे तो हालात भी आज जैसे न रहेंगे। हिंदी ब्लॉगिंग गाइड लिखने का मक़सद यही है कि हिंदी ब्लॉगिंग को एक सार्थकता दी जाए। उसके ज़रिए से लोगों की सोच को बेहतर बनाया जाए।
हरेक हिंदी ब्लॉगर से इसमें सहयोग की अपील है।
शुक्रिया !
3 टिप्पणियाँ:
--झूठ-फ़रेब और दग़ा को साहित्यिक भाषा में कूटनीति कहा जाता है।---गलत परिभाषा है .....इसे तो लूट नीति कहते हैं...
---कूटनीति का अर्थ है सदाचरण के साथ 'शठे शाठ्यं समाचरेत ' के अनुसार काम निकाला जाय....दोनों में फर्ख है...
जैसे जैसे जागरूकता बढ़ेगी नए नए ब्लोगर तो आयेंगे ही ..इसमें गाइड क्या कर लेगा....
@ आदरणीय श्याम जी ! जागरूकता जिन माध्यमों से आती है, साहित्य उनमें से एक है। ‘हिंदी ब्लॉगिंग गाइड‘ में जागरूकता लाने वाला साहित्य ही तो लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा।
रही बात लूट नीति की तो आप ऐसे कह लीजिए।
शुक्रिया !
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your valuable comment.