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बड़े अच्छे लगते हैं

Written By Pappu Parihar Bundelkhandi on रविवार, 10 जुलाई 2011 | 6:59 am

बड़े अच्छे लगते हैं

प्रिया


न समझ की नागवार गुजरी जिन्दगी, न कुछ मिला है |
वक्त पर मिल जाता है मकाँ, बस बात इंतज़ार की है || १ ||


नींद न आये, अब क्या करूं |
घूम रही हूँ, टहल रहीं हूँ |
वक्त बस यूँ काट रहीं हूँ | 
उस पल का इंतज़ार कर रही हूँ || २ ||

न हाथ रख सर पर, न सोच इतना |
जो हो रहा है, उस पर भरोसा कर उतना || ३ ||
 
राम
तेरी आदायगी और अदावत की दाद देता हूँ |
तू इतना सुलझा है कि तुझे सलाम देता हूँ || १ ||
रहा जाए न, सहा जाए न |
एक पल जिया जाए न |
कैसे कटे अब यह रात |
कोई तो बताये यह बात || २ ||
 
प्रिया और राम
मोहब्बत तो उससे होती है, जिससे नज़रें दो चार होती हैं |
जहन में उतर जाता है वो, मुलाकातों की शुरुवात होती है || १ ||

वक्त थोडा और गुज़र जाने दो |
सवाब में थोडा और रंग आने दो |
अभी क्यूँ हैं, इतनी बेकरारी |
अभी कर लो, थोड़ी और इंतजारी || २ ||
कितना इंतज़ार कराया |
कितना बेज़ार कराया |
अब तो कुछ होने दो |
अब तो कुछ खोने दो || ३ ||

हो गई सगाई, बधाई हो बधाई |
हैं दिल थोडा बेक़रार, बस शादी का है इंतज़ार || ४ ||

खुश हुए सब, खुशवार हुआ समाँ |
यह है किस्मत से बंधा हुआ समाँ || ५ ||
 
नताशा
तेरे नखरे और नाज़ उठा सकता हूँ |
तू न माने, तुझे अपनी बना सकता हूँ |
ये जो तेरा गुरुर है, तेरे हुश्न का नूर है |
इसी में तू अच्छी लगती है, ऐसी ही तू मुझे कबूल है || १ ||

न नाज़ उठा, न नखरे दिखा |
बस पर्दा उठा, तेरा हुश्न दिखा || २ ||

गुरुर है हुश्न का, या फिर तुफ्र है जूनून का |
कभी जिन्दगी में, मिला नहीं सुकून का |
फितरत है तेरी बदल-बदल कर आजमाने की |
अब न कर यह गलती, इसे दुबारा दोहराने की || ३ ||

खुदा हसीनों को हुश्न देता है, तो गुरुर क्यूँ देता है |
पल में कुछ होती है, पल में कुछ और हो जाती है || ४ ||

हुश्न वालों का किस्सा ये, पुराना है |
खेलती हैं जज्बातों से, ठुकराना है || ५ ||
हुश्न को गुरुर खुदा से मिला है |
तभी तो सुरूर उसमे दिखा है || ६ ||

है तो इसके दिल में कुछ और |
जता रही है सबको कुछ और |
बात तो जरुर है कुछ और |
बता राही है कुछ और || ७ ||

ये लड़कियां बड़ी अजीब होती हैं |
नचाती हैं लड़कों को उनका नसीब होती हैं |
समझती हैं सब ये, नासमझ न होती हैं |
बात मन की मनवाना इनकी आदत होती है || ८ ||

क्यूँ उसे सताती हो, क्यूँ उसे रुलाती हो |
क्यूँ उसे जलाती हो, क्यूँ उसे गुस्सा दिलाती हो |
क्यूँ उसका मजाक उड़ाती हो, क्यूँ उसकी खिल्ली उड़ाती हो |
प्यार करता है तुमसे, क्यूँ उसे बार-बार आजमाती हो || ९ ||
 
विक्रम
तेरे जैसा दोस्त मिले सबको दुआ करता हूँ |
नज़र न लगे तुझे किसी की दुआ करता हूँ || १ ||
 
बड़े अच्छे लगते हैं

कहानी कुछ जानी पहचानी सी लगती है |

कहानी कुछ बनाने वाली की लगती है |

कहानी कुछ एक की दो किरदारों में लगती है |

कहानी कुछ प्रिया और नताशा की लगती है || १ ||
कहानी कुछ जानी पहचानी सी लगती है |
कहानी कुछ प्रिय के त्याग की लगती है |
कहानी कुछ नताशा के गुरुर की लगती है |
कहानी कुछ एकता की दोनों में लगती है || २ ||
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2 टिप्पणियाँ:

रविकर ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ||
बहुत बधाई ||

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

मैं तो ये सीरियल ही नहीं देखता इसलिए कुछ कह नहीं सकता

वीडियो - नये ब्लोगर डैशबोर्ड से संक्षिप्त परिचय

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