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एक तोहफा - 1

Written By Pappu Parihar Bundelkhandi on शुक्रवार, 8 जुलाई 2011 | 9:49 pm



सुगंधा मिश्रा को एक तोहफा
Sugandha Mishra

बा खुदा तुझे उसने आवाज़ से जो नवाज़ा |
खूबसूरत भी बनाया, अंदाज़ से भी नवाज़ा |
सोखी दी, सरगोशी भी दी, अदा से नवाज़ा |
निगाहों से आबाद किया, अदब से नवाज़ा || १ ||


तुझे हुश्न बक्शा खुदा ने और नजाकत भी दी है |
तेरी आवाज़ भी खुदा ने तुझे एक तोहफे में दी है || २ ||

ए हुश्न तुझे किस पर नाज़ है |
तेरी आवाज़ भी लाज़वाब है |
बस प्यार की एक नज़र की दरकार है |
तुझे देखने का अरमा बेक़रार है || ३ ||

आवाज़ सुनी है तेरी, जबसे |
भूल गया आलम को, तबसे |
जहाँ में कहूं मैं ये, किससे |
तभी तो कह रहा हूँ, तुझसे || ४ ||

आवाज़ की खनक भी पायी है |
बेपनाह हुश्न भी पाया है |
शोखी और अदा भी पायी है |
तुम्हें तो खुदा ने बड़े नाज़ों से बनाया है || ५ ||

हर तरफ किस्से हैं, तेरी सोखी के, तेरी आवाज़ के |
तेरे हुश्न के और तेरी अदा के, तेरी अदावत के |
जमाना बात करता है, कि तू सबके दिल का हाल जान लेती है |
वक्त को तू पहचान लेती है, तभी तो तू सबको मान देती है |
ऐसी बात सभी में नहीं होती है, पर बात तेरी अनोखी है |
क्यूँकि खुदा ने तुझको, खूबसूरती और आवाज़ दोनों एक साथ बक्शी है || ६ ||

तेरे दीवानों में, एक मेरा भी नाम लिख ले |
दीवाना हूँ, दीवानगी का परवाना हूँ, चाहे तो परख ले |
कभी मुलाकात की तो, जुस्तजू पूरी होगी नहीं |
हम तो हैं बहुत दूर, और तू बहुत दूर होगी कहीं || ७ ||

पर तेरी आवाज़ और तेरी तस्वीर पास है मेरे |
ताउम्र, जिन्दगी गुज़ार लूँगा, उसी के सहारे |
आवाज़ तेरी, सब गम भुला देती है |
इस जहां से, किसी और जहाँ में पंहुचा देती है || ८ ||

तू गाती रहे, इसी तरह ये दुआ करता हूँ खुदा से |
तेरी खूबसूरती बनी रहे, ये दुआ करता हूँ खुदा से |
तेरी सूरत खूबसूरत है, पर तेरी सीरत उससे भी ज्यादा खूबसूरत है |
तेरे दिल के साफ़, आईने में, सब की दिल की बात नज़र आती है || ९ ||

सुन लेता हूँ तेरी आवाज़, काट लेता हूँ दिन और रात |
दोस्त पूछते, क्या है तेरी, बेतल्खी के राज़ की बात || १० ||

बहुत सुलझी हो और बहुत समझदार हो |
वक्त को पहचानती हो और बहुत मददगार हो || ११ ||


तेरी सोखी का, तेरी अदा का,
तेरी पैमाइश का, तेरी मुश्कान का,
तेरी फनकारी का,
दाद देता है जमाना |
तू महकती रहे, तू चहकती रहे,
तू खुसबू बिखेरती रहे,
तेरी आवाज़ की मिठास से प्यास बुझाता है जमाना || १२ ||
 
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5 टिप्पणियाँ:

shyam gupta ने कहा…

नायाब तोहफा...

रविकर ने कहा…

सुन्दर तोहफा,
हार्दिक बधाई ||

Manish Khedawat ने कहा…

behtareen ! :clap:

Unknown ने कहा…

bohot khoob..itni prashansa ki kabil nahi samjhti main khud ko ye sab kuch arpit hai us khuda ko...apne kaha aur hum untak pohoncha denge..hum sab ko us khuda ne banaya hai,to mere ye maana hai ki kisi bhi prashansa ka haqdaar wo hi rachna kaar hai..dhanyawad
from sugandha mishra

Pappu Parihar Bundelkhandi ने कहा…

आपकी नज़र कुछ अर्ज़ किया है |
आपने उसे पसंद किया है |

गुस्ताखी माफ़ हो, दिल अपना साफ़ हो |
इस तरह पेश आने की, सजा माफ़ हो |

जवाब आया है आपका |
दिल भर गया है जनाब का |

आपने ये पसंद किया |
दिल उसका रजामंद किया |

सोचा था कहीं खफा तो न हो जायेंगे |
मेरी इस करनी को खता तो न पायेंगे |
पर दिल उनका बड़ा है |
बडप्पन उनका बड़ा है |

खुदा की नवाजिश उनपर हमेशा रहे |
खुदा उनकी हर ख्वाइश हमेशा पूरी करे |

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