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गांधी जी नेहरू की दृष्टि में

Written By Bharat Swabhiman Dal on मंगलवार, 5 जुलाई 2011 | 8:22 pm

गांधी जी के सर्वाधिक प्रिय व खण्डित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा - " ओह दैट आफुल ओल्ड हिपोक्रेट " Oh, that awful old hypocrite - ओह ! वह ( गांधी ) भयंकर ढोंगी बुड्ढा । यह पढकर आप चकित होगे कि क्या यह कथन सत्य है - गांधी जी के अनन्य अनुयायी व दाहिना हाथ माने जाने वाले जवाहर लाल नेहरू ने ऐसा कहा होगा , कदापि नहीं । किन्तु यह मध्याह्न के सूर्य की भाँति देदीप्यमान सत्य है - नेहरू ने ऐसा ही कहा था । प्रसंग लीजिये - सन 1955 में कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन भारत आये थे । भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ उनकी भेंट हुई थी । भेंट की चर्चा उन्होंने अपनी पुस्तक " द इन्टरनेशनल हेयर्स " में की है -
सन 1955 में दिल्ली यात्रा के दौरान मुझे नेहरू को ठीक - ठीक समझने का अवसर मिला था । मुझे वह रात याद है , जब गार्डन पार्टी में हम दोनों साथ बैठे थे , रात के सात बज रहे थे और चाँदनी छिटकी हुई थी । उस पार्टी में नाच गाने का कार्यक्रम था । नाच शुरू होने से पहले नृत्यकार दौडकर आये और उन्होंने नेहरू के पाँव छुए फिर हम बाते करने लगे । उन्होंने गांधी के बारे में चर्चा की , उसे सुनकर मैं स्तब्ध हो गया । उन्होंने बताया कि गांधी कैसे कुशल एक्टर थे ? उन्होंने अंग्रेजों को अपने व्यवहार में कैसी चालाकी दिखाई ? अपने इर्द - गिर्द ऐसा घेरा बुना , जो अंग्रेजों को अपील करे । गांधी के बारे में मेरे सवाल के जबाब में उन्होंने कहा - Oh, that awful old hypocrite । नेहरू के कथन का अभिप्राय हुआ - " ओह ! वह भयंकर ढोंगी बुड्ढा " ।
( ग्रन्थ विकास , 37 - राजापार्क , आदर्शनगर , जयपुर द्वारा प्रकाशित सूर्यनारायण चौधरी की ' राजनीति के अधखुले गवाक्ष ' पुस्तक से उदधृत अंश )
नेहरू द्वारा गांधी के प्रति व्यक्त इस कथन से आप क्या समझते है - नेहरू ने गांधी को बहुत निकट एवं गहराई से देखा था । वह भी उनके विरोधी होकर नहीं अपितु कट्टर अनुयायी होकर । फिर क्या कारण रहा कि वे गांधी जी के बारे में अपने उन दमित निश्कर्षो को स्वार्थवश या जनभयवश अपने देशवासियों के सामने प्रकट न कर सके , एक विदेशी प्रधानमंत्री के सामने प्रकट कर दिया ?
- विश्वजीतसिंह
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2 टिप्पणियाँ:

आशुतोष की कलम ने कहा…

नेहरु के इस कथन में कोई आश्चर्य वाली बात नहीं है..
ऐसे ढेरो उदाहरण है नेहरु के चरित्र चित्रण के ...
और शायद गाँधी जी नेहरु प्रेम का ये प्रतिउत्तर था..

रविकर ने कहा…

दुर्भाग्य देश का |

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