विदेशों से काला धन देश में लाना तो फ़िलहाल मुश्किल है लेकिन मंदिरों और मज़ारों में एकत्र यह धन उसी मत के लोगों की भलाई में योजनाबद्ध तरीक़े से लगा देना चाहिए।
बाबा रामदेव को अपने क्षेत्र का भ्रष्टाचार तो दिखाई नहीं दिया और पिल पड़े दूसरे फ़ील्ड का भ्रष्टाचार दूर करने के लिए।
कुसुम ठाकुर जी ‘आर्यावर्त‘ ब्लॉग पर बता रही हैं कि
‘मंदिर के तहख़ाने से मिला कुबेर का ख़जाना‘
अभी तक इस ख़ज़ाने की क़ीमत 50 हज़ार करोड़ रूपये आंकी गई है।
यह तो एक मंदिर का हाल है। सभी बड़े-बड़े मंदिरों का हाल यही है, मज़ार वाले भी पीछे नहीं हैं।
माल दबा पड़ा है लोगों का जीवन दुश्वार हो रहा है तो इसके ज़िम्मेदार लोग वे हैं जो सच जानते हैं लेकिन लोगों को फ़ालतू के कामों में उलझाए रखते हैं।
क्या कोई बाबा कोशिश करेगा इस ‘धार्मिक-आर्थिक भ्रष्टाचार‘ दूर करने के लिए ?
इसी बात को हम पहले भी कह चुके हैं, जिसे देखने के लिए आपको जाना होगा इस लिंक पर :
बाबा रामदेव को अपने क्षेत्र का भ्रष्टाचार तो दिखाई नहीं दिया और पिल पड़े दूसरे फ़ील्ड का भ्रष्टाचार दूर करने के लिए।
नतीजा केवल नाकामी।
कुसुम ठाकुर जी ‘आर्यावर्त‘ ब्लॉग पर बता रही हैं कि
‘मंदिर के तहख़ाने से मिला कुबेर का ख़जाना‘
अभी तक इस ख़ज़ाने की क़ीमत 50 हज़ार करोड़ रूपये आंकी गई है।
यह तो एक मंदिर का हाल है। सभी बड़े-बड़े मंदिरों का हाल यही है, मज़ार वाले भी पीछे नहीं हैं।
माल दबा पड़ा है लोगों का जीवन दुश्वार हो रहा है तो इसके ज़िम्मेदार लोग वे हैं जो सच जानते हैं लेकिन लोगों को फ़ालतू के कामों में उलझाए रखते हैं।
क्या कोई बाबा कोशिश करेगा इस ‘धार्मिक-आर्थिक भ्रष्टाचार‘ दूर करने के लिए ?
इसी बात को हम पहले भी कह चुके हैं, जिसे देखने के लिए आपको जाना होगा इस लिंक पर :
3 टिप्पणियाँ:
aapne bahut sateek jankari di hai paramarsh bhi kabile tareef hai kaash koi is aur dhyaan de bhrashtachaar ki jaden apne desh se hi ukhaadni shuru karni chahiye.
सही है भाई ||
राजेश जी और रविकर जी , आपका आभार !
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